उलूक टाइम्स

शनिवार, 1 जून 2013

स्वायत्तता

हमेशा की तरह
आज भी आया हूँ
फिर से एक
बेवकूफी भरा
सवाल लाया हूँ
स्वायत्तता और
स्वायत्तशाशी
संस्थान में मौज
मारता रहा हूँ
पर होती क्या है
अभी तक खुद भी
नहीं समझ पाया हूँ
सरकार
सी बी आई को
स्वायत्तता
देने जा रही है
सुनकर अपनी
आँख थोड़ा सा
खोल पाया हूँ
विकीपीडिया
स्वायत्तता
का मतलब
समझाती है
अपने नियम
खुद बनाना
और उससे
किसी सिस्टम
को चलाना
होता है
ऎसा कुछ
समझाती है
इसलिये
स्वायत्तशाशी
संस्थानों में
कोई बाहर
का नियम नहीं
चल पाता है
क्योंकि हर कोई
अपनी सुविधा से
अपना एक नियम
अपने लिये बनाता है
आजादी अगर
देखनी हो
तो किसी भी
स्वायत्तशाशी
संस्थान में
चले जाईये
वहाँ हाजिरी
लगना लगाना
बेवकूफी
समझा जाता है
जब मन
आये आइये
जब मन ना हो
कहीं भी घूमने
चले जाइये
छुट्टी की अर्जी
भेजने की
जहमत भी
मत उठाइये
नौकरी पा
जाने के बाद
काम करने
को किसी से
भूल में भी ना
कह ले जाइये
स्वायत्तता
में रहकर जो
काम कर
रहा होता है
वो एक
गधा होता है
उस गधे
को छोड़ कर
बाकी हर कोई
स्वायत्त होता है
देश की सरकार
और सरकारी
दफ्तरों में सरकार
स्वायत्तता क्यों
नहीं बाट
ले जा रही है
सब जगह
अपने नियम
खुद बनाने
वाले पेड़
क्यों नहीं
उगा रही है
सारे झगडे़
स्वायत्तता
मिलते ही
निपटते
चले जायेंगे
सब लोग जब
अपने अपने
नियम खुद
बनाते चले जायेंगे
कोई किसी
से कुछ भी
नहीं कहीं
कह पायेगा
जो कहेगा
वो अपनी मौत
खुद ही अपने
लिये बुलायेगा
स्वायत्तता वैसे
तो समझ में
नहीं भी कभी
आ पाती है
देश को तो
एक सरकार
ही मगर
चलाये जाती है
उसे स्वायत्त
नहीं सरकारी
ही हमेशा से
कहा जाता है
ज्यादातर
सरकार सबको
सरकारी ही रहने
देना चाहती है
बस जिसे बर्बाद
करना होता है
उसे ही स्वायत्तता
देना चाहती है ।

मंगलवार, 28 मई 2013

सरकार होती है किसकी होती है से क्या ?


अब भाई होती है 
हर जगह एक सरकार बहुत जरूरी होती है 

चाहे बनाई गयी हो 
किसी भी प्रकार 
घर की सरकार दफ्तर की सरकार
शहर की सरकार जिला प्रदेश होते हुऎ
पूरे देश की सरकार 

कुछ ही लोग बने होते हैं 
सरकार बनाने के लिये 
उनको ही बुलाया जाता है हमेशा हर जगह 
सरकार को चलाने के लिये 

कुछ नाकारा भी होते हैं 
बस सरकार के काम करने के तरीके पर 
बात की बात बनाने वाले 

काम करने वाले
काम 
करते ही चले जाते हैं 
बातें ना खुद बनाते हैं 
ना बाते बनाने वालों की बातों से
परेशान 
हो गये हैं कहीं दिखाते हैं 

छोटी छोटी सरकारें 
बहुत काम की सरकारें होती हैं 

सभी दल के लोग
उसमें 
शामिल हुऎ देखे जाते हैं 
दलगत भावनाऎं
कुछ 
समय के लिये अपने अंदर दबा ले जाते हैं 

बडे़ बडे़ काम 
हो भी जाते हैं पता ही नहीं चलता है 
काम करने वाले काम के बीच में
बातों को 
कहीं भी नहीं लाते हैं 

छोटी सरकारों से 
गलतियाँ भी नहीं कहीं हो पाती है 
सफाई से हुऎ होते हैं 
सारे कामों के साथ साथ 
गलतियाँ भी आसानी से सुधार ली जाती हैं 

तैयारी होती है तो 
मदद भी हमेशा 
मिल ही जाती है 
गलती खिसकती भी है तो
अखबार तक पहुँचने 
से पहले ही पोंछ दी जाती है 

ज्यादा परेशानी होने पर 
छोटी सरकार के हिस्से 
आत्मसम्मान अपना जगाते हैं 
अपनी अपनी पार्टी के झंडे निकाल कर ले आते हैं 

मिलकर काम करने को 
कुछ दिन के लिये टाल कर
देश बचाने के 
काम में लग जाते हैं 
बड़ी सरकार की बड़ी गलतियों से
छोटी सरकारों की छत्रियां बनाते हैं 

बडी सरकार में भी 
तो
इनके पिताजी 
लोग ही तो होते हैं 
वो भी तुरंत कौल का गेट बंद कर कुछ दिन 
आई पी एल की फिक्सिंग का ड्रामा 
करना शुरु हो जाते हैं । 

चित्र साभार: https://www.gograph.com/

शनिवार, 25 मई 2013

कमल बनना है तो कीचड़ पहले बना !

पढे़ लिखे लोग
यूं ही बुद्धिजीवी
नहीं कहलाते हैं
कभी देखा
कुछ हो भी जाये
उनके आस पास
बहुत सारे होते हैं
उसपर भी
कहने को कोई
कुछ नहीं आते हैं
कहते भी हैं तो
कान में कहते हैं
अखबार में नहीं
वो जो भी
छपवाते हैं
आई एस बी एन
होने पर ही
छपवाते हैं
माना कि तू भी
गलती से कुछ
पढ़ लिख ले गया
पर किस ने
कह दिया तुझसे
कि तू भी उसी
कैटेगरी का हो गया
हर बात पर
कुछ ना कुछ
कहने को चला
यहां आता है
गन्दी बातें बस
दिमाग में रखता है
गन्दगी यहाँ फैलाता है
देखा कभी कोई
पौसिटिव सोच वाला
तेरे से बात भी करना
कुछ चाहता है
निगेटिव देखता है
निगेटिव सोचता है
निगेटिव ही
बस फैलाता है
अब किसी कीचड़
फैलाने वाले को
यूँ ही फालतू में नहीं
गलियाना चाहिये
ये भी देखना चाहिये
अखबार में वो
कमल की तरह
दिख रहा है
इतना तो समझ
ही जाना चाहिये
कीचड़ अगर
नहीं फैलाया जायेगा
तो कमल कैसे
एक उगाया जायेगा
समझा कर
ये बात शायद
तेरे पिताजी ने तुझे
नहीं बतायी होगी
कमल बनाने के लिये
कीचड़ बनाने की विधि
तुझे नहीं समझाई होगी
देखता नहीं
तेरे आसपास के
सारे सफेदपोश
पैजामा उठा
कर चलते हैं
कीचड़ के छीटे
उछलते हैं तो
बस उछलते हैं
किसी को
उस कीचड़ से
कोई परेशानी
नहीं होती है
सरकार को
पता होता है
वो तो कमल की
दीवानी होती है
इसलिये
अब भी समय है
कुछ तो सुधर जा
पब्लिक को बेवकूफ
मत समझा कर
अपना भी समय
ऎसे वैसे में ना गंवा
कुछ काम धाम
करने की सोच बना
समान सोच के लोग
जो फैला रहे हैं कीचड़
उनकी शरण में जा
कमल ना भी बन पाया
तो कोई बात नहीं
कमल बनाने की
तकनीक सीख कर
वैज्ञानिक सोच ही
पैदा कर ले जा
कुछ प्रोजेक्ट ही ले आ
कुछ कर रहा है
वो ही चल दे दिखा ।

मंगलवार, 21 मई 2013

बधाई रजिया ने दौड़ है लगाई

अफसोस हुआ बहुत
अभी अभी जब किसी
ने खबर मुझे सुनाई
होने वाला है ये जल्दी
कह रही थी मुझसे
कब से फेसबुकी ताई
पर इतनी जल्दी ये सब
हो ऎसे ही जायेगा
क्यों हुआ कैसे हुआ
अब कौन मुझे बतायेगा
रजिया जब से गुंडों को
सुधारने मेरे घर में आई
पच नहीं रही थी मुझे
उसकी ये बात
बिल्कुल भी भाई
बस लग रही थी जैसे
इतनी हिम्मत उसमें
किसने है जाकर जगाई
रजिया सुना सब कुछ
छोड़ कर जा रही है
मेरे घर का राज
फिर से मेरे घर के
गुण्डों को फिर से
थमा रही है
मेरे घर की किस्मत
फिर से फूटने को
सुना है जा रही है
चलो कोई बात नहीं
फिर से मिलकर अब
जुट जाना चाहिये
किसी और एक रजिया
को यहाँ आ कर
फंसने के लिये
फंसाना चाहिये
वैसे चिंता करने
की बात नहीं
होनी चाहिये
जो कर रही है
देश को बर्बाद
उसको मेरे घर को
गिराने के लिये
कोई बड़ा बहाना
कहाँ होना चाहिये
जल्दी ही सरकार
किसी रजिया को
फिर ढूँढ लायेगी
मेरे घर के गुंडो
का फिर भी वो
क्या कुछ कर पायेगी
ये बात ना मेरे को
ना मेरे पड़ोसियों
के समझ में आयेगी
जो शक्ति इतने बडे़
देश का कर रही है
बेड़ा गर्क रोज रोज
वो ही मेरे घर के बेडे़
का गड्ढा भी बनायेगी ।

शनिवार, 18 मई 2013

कुछ अच्छा लिख ना

आज कुछ तो
अच्छा लिखना
रोज करता है
यहाँ बक बक
कभी तो एक
कोशिश करना
एक सुन्दर सी
कविता लिखना
तेरी आदत में
हो गया है शुमार
होना बस हैरान
और परेशान
कभी उनकी तरह
से कुछ करना
जिन्दगी को रोंदते
हुऎ जूते से
काला चश्मा
पहने हुऎ हंसना
गेरुआ रंगा
कर कुछ कपडे़
तिरंगे का
पहरा करना
अपने घर मे
क्या अटल
क्या सोनिया
कहना
दिल्ली में
करेंगे लड़ाई
घर में साथ
साथ रहना
ले लेना कुछ
कुछ दे देना
इस देश में
कुछ नहीं
है होना
देश प्रेम
भगत सिंह का
दिखा देना
बस दिखा देना
बता देना वो
सब जो हुआ
था तब बस
बता देना
लेना देना
कर लेना
कोई कुछ
नहीं कहेगा
गाना इक
सुना देना
वन्दे मातरम
से शुरु करना
जन गण मन
पर जाकर
रुका देना
कर लेना जो
भी करना हो
ना हो सके तो
पाकिस्तान
के ऊपर ले जा
कर ढहा देना
सब को सब
कुछ पता होता है
तू अपनी किताब
को खुला रखना
आज कुछ तो
अच्छा लिखना
रोज करता है
यहाँ बक बक
कभी तो एक
कोशिश करना
एक सुन्दर सी
कविता लिखना ।