बहुत से मदारी
ताजिंदगी
एक ही बंदर से काम चलाते हैं
एक ही बंदर से काम चलाते हैं
इसीलिये
जमाने की दौड़ में बस
यूँ ही पिछड़ते चले जाते हैं
मेरा मदारी भी सुना है
अब समझदारी
कहीं से सीख के आ रहा है
कहीं से सीख के आ रहा है
कहते सुना मैने उसे
अब मेरे नाच में मजा नहीं आ रहा है
वो एक नये बंदर को ट्रेनिंग देने
चुपचाप कहीं कहीं कभी कभी आ जा रहा है
चुपचाप कहीं कहीं कभी कभी आ जा रहा है
जंजीर और रस्सियों को
करने वाला वो दरकिनार है
जमाना कब से
वाई फाई का हुआ जा रहा है
वाई फाई का हुआ जा रहा है
उसकी अक्ल में
अब ये बहुत अच्छी तरह से घुस पा रहा है
रस्सी से तो एक समय में
एक ही बंदर को नचाया जा रहा है
बंदर भी दिख जा रहा है
रस्सी को भी वो छुपा नहीं पा रहा है
ई-दुनियाँ में देखिये
कितना मजा आ रहा है
सब कुछ पर्दे के पीछे से ही चलाया जा रहा है
बंदर और मदारी
दोनो का एक साथ दीदार हुआ जा रहा है
लेकिन
किसने मदारी बदल दिया
और
किसके पास
नया बंदर आ रहा है
किसके पास
नया बंदर आ रहा है
इसका अंदाज कोई भी नहीं लगा पा रहा है
इन
सब के बीच
गौर करियेगा जरा
मेरा
सीखा सिखाया हुआ नाच
कितनी बेदर्दी से डुबोया जा रहा है
दिमाग वालों को कम
देखने वालों को ज्यादा
बारीकी से ये सब
समझ में आ जा रहा है ।
बारीकी से ये सब
समझ में आ जा रहा है ।
चित्र साभार: https://www.istockphoto.com/
वाह बहुत बढ़िया!
जवाब देंहटाएंअब तीन बन्दरों का जमाना तो रहा ही नहीं।
एक मदारी और एक बन्दर का बच्चा ही काफी है!
जवाब देंहटाएंवाह वाह !!! बहुत खूब ,,,,बस बन्दर को नये जमाने ट्रेनिग की जरूरत है,,,,,,
RECENT POST बदनसीबी,
गजब -
जवाब देंहटाएंनया विचार -
नया मदारी नया बन्दर-
बहुत कुछ है अन्दर-
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति आज शुक्रवार के चर्चा मंच पर ।।
जवाब देंहटाएंकार्पोरेट जगत के कडुवे सच को सामने लाने का प्रयास,परिस्तिथि जन्य परिवर्तन को व्यक्त करने के लिए उपमाओं का सटीक चयन ,पुराने कर्मचारी की पीड़ा को स्वर देती कविताई ,बहुत बहुत साधुवाद
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 04 फरवरी को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंदिमाग वालों को कम
जवाब देंहटाएंदेखने वालों को ज्यादा
बारीकी से ये सब
समझ में आ जा रहा है । हमेशा की तरह लाजवाब सृजन।
अद्धभुत लेखन
जवाब देंहटाएंकहते सुना मैने उसे
जवाब देंहटाएंअब मेरे नाच में मजा नहीं आ रहा है
वो एक नये बंदर को ट्रेनिंग देने
चुपचाप कहीं कहीं कभी कभी आ जा रहा है
वास्तविक जीवन की परिधि के इर्द-गिर्द घूमती रचना। अद्भुत।
वाह बहुत बेहतरीन
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