जरूरत
नहीं है
आज के
अर्जुनों को
गाँडीव की
ना ही शंख
पाँचजन्य की
ना ही
जरूरत है
कृष्ण और
उसके
अर्जुन से किये
संवादों की
या किसी
गीता की
आज के
सारे अर्जुन
धृतराष्ट्र होने
में गर्व
महसूस
करते हैं
आँखे होती हैं
फिर भी
गाँधारी की
तरह नहीं
करते हैं
खुली आँख से
अपने सामने
हो रहे
कुछ भी को
देखना पसंद
नहीं करते हैं
जमाने के साथ
चलने
उठने बैठने
के शौकीन
होते हैं
अपने खुद के
दिमाग से
कुछ भी
सोचना अपनी
तौहीन
समझते हैं
दूर अंधेरे में
बैठे किसी
चमकीले
चमगादड़ की
चमक से
प्रभावित हो
कहीं भी
उल्टा लटक
किसी और
की उल्टी
बात पर
उल्टी कर
लेना पसन्द
करते हैं
अपने
आस पास
हो रही
लूट पर
चुप रहते हैं
कुछ नहीं
कहते हैं
बेवकूफ
समझते हैं
दुनियाँ को
भौँकते हैं
अपनी
गलियों से
दूर कहीं
जा कर
वीडियो
फेसबुक में
अपलोड
किये होते हैं
‘उलूक’
जानता है
अपने मोहल्ले
अपनी गली
अपने शहर
के सियारों
को
नोच लेता है
अपने सिर के
बाल दो चार बस
जब सारे
शहर के सियार
देश के वफादार
कुत्ते होने का
दम भर कर
फेसबुक में
भौंक रहे होते हैं ।
चित्र साभार: www.canstockphoto.com
नहीं है
आज के
अर्जुनों को
गाँडीव की
ना ही शंख
पाँचजन्य की
ना ही
जरूरत है
कृष्ण और
उसके
अर्जुन से किये
संवादों की
या किसी
गीता की
आज के
सारे अर्जुन
धृतराष्ट्र होने
में गर्व
महसूस
करते हैं
आँखे होती हैं
फिर भी
गाँधारी की
तरह नहीं
करते हैं
खुली आँख से
अपने सामने
हो रहे
कुछ भी को
देखना पसंद
नहीं करते हैं
जमाने के साथ
चलने
उठने बैठने
के शौकीन
होते हैं
अपने खुद के
दिमाग से
कुछ भी
सोचना अपनी
तौहीन
समझते हैं
दूर अंधेरे में
बैठे किसी
चमकीले
चमगादड़ की
चमक से
प्रभावित हो
कहीं भी
उल्टा लटक
किसी और
की उल्टी
बात पर
उल्टी कर
लेना पसन्द
करते हैं
अपने
आस पास
हो रही
लूट पर
चुप रहते हैं
कुछ नहीं
कहते हैं
बेवकूफ
समझते हैं
दुनियाँ को
भौँकते हैं
अपनी
गलियों से
दूर कहीं
जा कर
वीडियो
फेसबुक में
अपलोड
किये होते हैं
‘उलूक’
जानता है
अपने मोहल्ले
अपनी गली
अपने शहर
के सियारों
को
नोच लेता है
अपने सिर के
बाल दो चार बस
जब सारे
शहर के सियार
देश के वफादार
कुत्ते होने का
दम भर कर
फेसबुक में
भौंक रहे होते हैं ।
चित्र साभार: www.canstockphoto.com