उलूक टाइम्स: रोके गये अन्दर कहीं खुद के छिपाये हुऐ सारे बे‌ईमान लिख दें

बुधवार, 21 जुलाई 2021

रोके गये अन्दर कहीं खुद के छिपाये हुऐ सारे बे‌ईमान लिख दें

 



रुकें थोड़ी देर
भागती जिंदगी के पर थाम कर
थोड़ी सी सुबह थोड़ी शाम लिख दें

कोशिश करें
कुछ दोपहरी कुछ अंधेरे में सिमटते
रात के पहर के पैगाम लिख दें

फिर से शुरु करें
सीखना बाराहखड़ी
ठहर कर थोड़ा कुछ किताबों के नाम लिख दें

रोकें नहीं
सैलाब आने दें
इससे पहले मिटें धूल में लिखे सारे सुर्ख नाम
चलो खुद को खुलेआम बदनाम लिख दें

छान कर
लिख लिया कुछ कुछ कभी कुछ कभी
कभी बेधड़क होकर अपने सारे किये कत्लेआम लिख दें

किसलिये झाँके
सुन्दर लिखे के पीछे से एक वीभत्स चेहरा
आईने लिखना छोड़ दें
पर्दे गिरा सारा सभीकुछ सरेआम लिख दें 

उनको
लिखने दें ‘उलूक’
सलीके से अपने सलीके
 खुल कर बदतमीजियां अपनी
बैखोफ होकर अपने हमाम लिख दें ।

चित्र साभार: https://www.clipartmax.com/

24 टिप्‍पणियां:


  1. बेहिस क़लम में भरूँ स्याही बेखौफ़ 
    तोड़कर बंदिश लबों के,गीत गाऊँ
    मलूँ मैं रोशनी के अर्क धुंध की चादरों पे
    मैं हर लूँ तम ज़रा भी ,जीत जाऊँ।
    -----
    बेहतरीन अभिव्यक्ति

    प्रणाम सर
    सादर।

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    उत्तर
    1. वाह!गज़ब लिखा सर।
      आपका दृष्टि कोण भी सराहनीय है।
      सादर

      हटाएं
  2. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार (23-07-2021) को "इंद्र-धनुष जो स्वर्ग-सेतु-सा वृक्षों के शिखरों पर है" (चर्चा अंक- 4134) पर होगी। चर्चा में आप सादर आमंत्रित हैं।
    धन्यवाद सहित।

    "मीना भारद्वाज"

    जवाब देंहटाएं
  3. उनको
    लिखने दें ‘उलूक’
    सलीके से अपने सलीके
    खुल कर बदतमीजियां अपनी
    बैखोफ होकर अपने हमाम लिख दें ।
    सादर नमन..

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  4. सब यूँ हमाम की बात कैसे लिख दें ? शरीफ बने रहने के लिए दिखावा ज़रूरी है ।
    धारदार मार

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  5. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २३ जुलाई २०२१ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  6. छान कर
    लिख लिया कुछ कुछ कभी कुछ कभी
    कभी बेधड़क होकर अपने सारे किये कत्लेआम लिख दें

    किसलिये झाँके
    सुन्दर लिखे के पीछे से एक वीभत्स चेहरा
    आईने लिखना छोड़ दें
    पर्दे गिरा सारा सभीकुछ सरेआम लिख दें
    .. इतना सबकुछ लिखने के लिए कलेजा होना चाहिए, जो बहुत कम है लोगोंके पास । शानदार कटाक्ष।

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  7. बहुत खूब। बहुत बढ़िया सर जी।

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  8. रोकें नहीं
    सैलाब आने दें
    इससे पहले मिटें धूल में लिखे सारे सुर्ख नाम
    चलो खुद को खुलेआम बदनाम लिख दें

    छान कर
    लिख लिया कुछ कुछ कभी कुछ कभी
    कभी बेधड़क होकर अपने सारे किये कत्लेआम लिख दें


    बहुत सुन्दर.... ऐसे ही बेधड़क होकर लिखा करें....

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  9. "ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना ..." -कहने वाले "उलूक टाइम्स" के proprietor, माननीय Mr उलूक "जी", :) :) आज अपनी ही बातों से मुकरते, "तुकों-तर्कों" से लबरेज़, जाने-अंजाने एक तुकबन्दी से सजी कविता रच गए हैं .. शायद ...
    पाठकगण जरा जोर से दुहराइये " जो उलूक है, वही मलूक है " ...😀😀😀 .. बस यूँ ही ...
    "उनको
    लिखने दें ‘उलूक’
    सलीके से अपने सलीके
    खुल कर बदतमीजियां अपनी
    बैखोफ होकर अपने हमाम लिख दें ।" 🙏🙏🙏

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  10. आज की रचना कुछ अलग है, पर बात वही है

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  11. किसलिये झाँके
    सुन्दर लिखे के पीछे से एक वीभत्स चेहरा
    आईने लिखना छोड़ दें
    पर्दे गिरा सारा सभीकुछ सरेआम लिख दें

    कुछ अलग सा....सार्थक सृजन,सादर नमन सर

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  12. हमेशा की तरह सत्य को उजागर करती रचना, चुभन के साथ बहुत सोचने पर मजबूर करती है - - साधुवाद सह।

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  13. भले ही सैलाब आ कर सब मिटा जाए फिर भी अपने कर्मों की सवीकारोक्ति बिरले के वश की बात है !

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  14. सारगर्भित , आज कुछ अल्हदा सा मिजाज है लेखनी का
    पर तेवर वहीं सीधे कटाक्ष करते ।
    अभिनव अभिव्यक्ति।

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  15. छान कर
    लिख लिया कुछ कुछ कभी कुछ कभी
    कभी बेधड़क होकर अपने सारे किये कत्लेआम लिख दें
    वाह!!!


    उनको
    लिखने दें ‘उलूक’
    सलीके से अपने सलीके
    खुल कर बदतमीजियां अपनी
    बैखोफ होकर अपने हमाम लिख दें ।
    हिम्मत चाहिए ऐसा लिखने के लिए और एक आइना भी सच बोलता हुआ ...जो दिखा सके मेकअप के अन्दर का असली चेहरा अपना ही....
    लाजवाब सृजन।

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  16. इससे पहले मिटें धूल में लिखे सारे सुर्ख नाम
    चलो खुद को खुलेआम बदनाम लिख दें
    बहुत खूब!

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  17. किसलिये झाँके
    सुन्दर लिखे के पीछे से एक वीभत्स चेहरा
    आईने लिखना छोड़ दें
    पर्दे गिरा सारा सभीकुछ सरेआम लिख दें
    बहुत ही उम्दा रचना!

    ये कलम भी कमाल करती है,
    कोरे कागज पर शब्द रूपी बाड़ों से प्रहार करती है!

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