कुछ नहीं कह रहे हैं
कुछ कहने की जरूरत ही कहां है
सब कुछ तो ठीक है किसी को बताने की फुर्सत ही कहां है
कुछ उसके आदमी हैं कुछ इसके आदमी है जो जहां है वो वहां है
अभी उधर वाला इधर वाले की खाल खीचे खाल है अभी और यहाँ है
जो उधर है वो सबसे होशियार है उसको भी पता है वो कहाँ है
वो इधर वाले के कपडे उतारे किस ने देखना है कौन है कहा है
कल इधर वाला उधर होगा तब देख लेंगे किसने क्या कहा है
सजा किस को हुई है या होने वाली है मौज में हैं जो हैं जहां हैं
गाली गांधी को दे दो गाली नेहरू को दे दो वो कौन सा यहां हैं
गाली देने में कौन से पैसे खर्च होते हैं गाली देने वाले शहंशाह हैं
जो कह रहा है बस वो ही सिर्फ एक बेवकूफ है सुनने वाला मेहरबां है
होशियार ‘उलूक’ तेरे अलावा बाकी बचा है जो सारा और सारा जहां है |
चित्र साभार: https://pixabay.com/
गाली देने में कौन से पैसे खर्च होते हैं गाली देने वाले शहंशाह हैं..
जवाब देंहटाएंवाकई! मुंह से भौंकने वालों का बोलबाला है, दिखावे और छल प्रपंच का हर तरफ जोर है,
सच को आइना दिखाती सामयिक प्रस्तुति।
गाली देने वाले देते हैं लपकने वाले भी कम नहीं
जवाब देंहटाएंझट से लपक कर दुगुनी गति से अंधाधुंध उपहार लौटाने के भ्रम में रहते हैं।
बहुत अच्छी रचना सर।
प्रणाम सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार १२ दिसम्बर २०२३ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
जो कह रहा है
जवाब देंहटाएंबस वो ही
सिर्फ एक बेवकूफ है
सुनने वाला मेहरबां है
जो हरदम ही रहता है
आभार
सादर
वाह! बेहतरीन सृजन।
जवाब देंहटाएंहर कोई एक दूजे को खींचता हुआ ही दिखाई देता है ... खाल को निकलेगी ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंइधर से उधर और उधर से इधर आना-जाना लगा रहता है
जवाब देंहटाएंभूल जाते हैं सभी, तब क्या फ़र्क़ पड़ता है कि कोई क्या कहता है
जो कह रहा है बस वो ही सिर्फ एक बेवकूफ है सुनने वाला मेहरबां है
जवाब देंहटाएंहोशियार ‘उलूक’ तेरे अलावा बाकी बचा है जो सारा और सारा जहां है |
बहुत सुन्दर सृजन सर ! सादर वन्दे !
गाली गांधी को दे दो गाली नेहरू को दे दो वो कौन सा यहां हैं
जवाब देंहटाएंगाली देने में कौन से पैसे खर्च होते हैं गाली देने वाले शहंशाह हैं
-फुर्सत कहाँ ऐसे लोगों को अपने ज़मीर में झाँकने की
बेख़ौफ लिख लेना बड़ी बात है... आपकी लेखनी को सलाम