सुना है फिर जा रहा है
एक दो दिन में एक पुराना हो चुका एक नया साल
सोच में बैठा है हो ना पाया आबाद
एक दो दिन में एक पुराना हो चुका एक नया साल
सोच में बैठा है हो ना पाया आबाद
साल पैदा होते हैं यूं ही बूढ़े हो लेने के लिए
बस कुछ दो चार दिन में ही
या कहें कि हो लेते हैं खुद ही बरबाद
खबर ये भी है
कि आ भी रहा है इक नया साल
पुराने की जगह लेने के लिए
और है बहुत ही बेताब
बस कुछ दो चार दिन में ही
या कहें कि हो लेते हैं खुद ही बरबाद
खबर ये भी है
कि आ भी रहा है इक नया साल
पुराने की जगह लेने के लिए
और है बहुत ही बेताब
आदमी है कि
आदमी होने की सोचता ही रह जाता है
और साल निकल लेता है किनारे से
बस यूं ही चुपचाप
कोई कह रहा है
कि और भी बहुत कुछ अच्छा होगा इस साल
हो चुके सारे अच्छे के बाद
आदमी होने की सोचता ही रह जाता है
और साल निकल लेता है किनारे से
बस यूं ही चुपचाप
कोई कह रहा है
कि और भी बहुत कुछ अच्छा होगा इस साल
हो चुके सारे अच्छे के बाद
इतना अच्छा हो चुका है इस साल
शायद कुछ बचा भी हो
सोच में बैठा है पर लगा एक सुरखाब
सपने बोना कई
सींचना सपनों को और उगाना पेड़ सपनों का
फिर खाना तोड़ कर सपने बेहिसाब
शायद कुछ बचा भी हो
सोच में बैठा है पर लगा एक सुरखाब
सपने बोना कई
सींचना सपनों को और उगाना पेड़ सपनों का
फिर खाना तोड़ कर सपने बेहिसाब
सीख लेना अच्छा है
सिखा कर जा रहा है कम से कम
सपना हो लेने से बचने की पढ़ाकर
कोई अपनी किताब
कितना कुछ लपेटा है
लपेटने वाले ने साल भर जी भर के
सच में जादूगरी है कि कमाल है
अभी तो और बहुत कुछ देखना है जनाब
सिखा कर जा रहा है कम से कम
सपना हो लेने से बचने की पढ़ाकर
कोई अपनी किताब
कितना कुछ लपेटा है
लपेटने वाले ने साल भर जी भर के
सच में जादूगरी है कि कमाल है
अभी तो और बहुत कुछ देखना है जनाब
‘उलूक’ फिर से खिसियायेगा
फिर से नोचेगा खम्बे कई आने वाले साल में यूं ही
और कर भी क्या सकता है वो
जो है हड्डी में कबाब
चित्र साभार:
फिर से नोचेगा खम्बे कई आने वाले साल में यूं ही
और कर भी क्या सकता है वो
जो है हड्डी में कबाब
चित्र साभार:
नये आते रहेंगे पुराने सालों की विदाई के साथ!
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 31 दिसम्बर 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंसादर वंदे
जवाब देंहटाएंआप अपना लिक्खे का
एक महीने के बाद
पुनर्वाचन करें
आपको समझ मे आ जाएगा कि किसी
नासमझ नें नहीं लिक्खा है
आभार
आदमी सोचता है आदमी होने की और गुज़र जाता है नया साल ...
जवाब देंहटाएंयही तो जीवन है ... साल के बदले साल ...
बहुत सुन्दर सृजन सर ! नववर्ष की असीम शुभकामनाएँ 🙏
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सृजन मान्यवर
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंआपकी लेखनी दौड़ती रहे...
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