पंडित जी बहुत ही व्यस्त हो जाते हैं
श्राद्ध सामग्री के लिये एक लम्बी सूची भी प्रिंट कराते हैं
दूध दही घीं शहद काजू किशमिश
बादाम फल मिठाई कपड़े लत्ते
अच्छी क्वालिटी और अच्छी दुकान से
लाने का आदेश साथ में दे जाते हैं
खुद ही खा कर पितर लोगों तक खाना पहुंचाते हैं
इसलिये भोजन छप्पन प्रकार का
होना ही चाहिये समझा जाते हैं
सुबह सात बजे का समय देकर दिन में
दो बजे से पहले कभी नहीं आ पाते हैं
देरी का कारण पूछने पर
बताने में भी नहीं हिचकिचाते हैं
लोग बाग जीते जी अपने मां बाप के लिये
कुछ नहीं कर पाते हैं
इसलिये मरने के बाद उनकी इच्छाओं को पूरा
जरूर करना चाहते हैं
अपनी इच्छाओं को
इसके लिये मारना भी पड़े
तब भी नहीं हिचकिचाते हैं
मृतात्मा के जीवन काल के शौक को
पंडित से पूरा कराते हैं
जजमान
आप इतना भी नहीं समझ पाते हैं
मरने के बाद
मरने वाले क्योंकि भूत बन जाते हैं
उसके डर से
अपने को निकालने के लिये लोग
कुछ भी कर जाते हैं
कुछ दिन
हमारी भी चल निकलती है गाड़ी
ऐसे लोग वैसे तो कभी हाथ नहीं आते हैं
कुछ जजमान
पीने के शौक रखने वाले
पितर के नाम से पंडित जी को अंग्रेजी ला कर दे जाते हैं
उनके यहां
पहले जाना बहुत जरूरी होता है इन दिनो
इसलिये
आपके यहां थोड़ा देर से आते हैं ।
आपके यहां थोड़ा देर से आते हैं ।
चित्र साभार: https://marathi.webdunia.com/