उलूक टाइम्स: भौंक
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शुक्रवार, 2 मई 2014

अपना शौक पूरा कर उसके शौक से तेरा क्या नाता है

इन दिनों
कई दिन से
एक के बाद एक

सारे जानवर
याद आ जा रहे हैं

किसी को कुछ
किसी को कुछ
बना कर भी
दिखा जा रहे हैं

शेर चीते बाघ हाथी
मौज कर रहे हैं

छोटे मोटे जानवरों
के लिये पैक्ड लंच
का इंतजाम
घर में बैठे बैठे
करवा रहे हैं

आदमी की बात
फिर कभी कर लेंगे

आदमी कौन सा
हमेशा के लिये
जंगल को चले
जा रहे हैं

कुत्ते खुद तो
भौंक ही रहे हैं
सियारों से भी
भौंकने की अपेक्षा
रखते हैं जैसा ही
कुछ दिखा रहे हैं

अब कौन कहे
भाईयों से
भौंकने से क्या
किसी ने उनको
कहीं रोका है

भौंकते रहें
अपने लिये तो
रोज भौंक लेते हैं
इसके लिये भी भौंकें
उसके लिये भी भौंकें

लेकिन बहुत ही
गलत बात है
सियारों को तो
कम से कम
इस तरह से ना टोकें

वैसे तो सियार
और कुत्तों में
कोई बहुत ज्यादा
फर्क नजर
नहीं आता है

अच्छी तरह से
पढ़ाया लिखाया
सियार भी
कुछ समय में
एक कुत्ते जैसा
ही हो जाता है

पर समय
तो मिलना
ही चाहिये

कोई जल्दी
तो कोई
थोड़ी देर में
सभ्य हो पाता है
पता है तुमको
बहुत अच्छा
पूँछ हिलाना
भी आता है

जब
तुमको कोई
नहीं रोक रहा
किसी के लिये
पूँछ हिलाने पर

तो किसी
और का
किसी और
के लिये
मिमियाने
और
टिटियाने से
तुम्हें
क्या हो जाता है

जब
कोई सियार
तुमको कभी
मत भौंको
कहने के लिये
नहीं आता है

संविधान
के होते हुऐ
किस हैसियत से
तुमसे सियारों के
ना भौंकने पर
जबरदस्त रोष
किया जाता है

‘उलूक’
इसीलिये तो
हमेशा ही
ऐसे समय में

चोंच ऊपर कर
आसमान की ओर
देखना शुरु हो जाता है ।

गुरुवार, 16 जनवरी 2014

क्या हुआ अगर खुद लिख कर खुद ही कोई समझ रहा है

रात रात भर
भौंक रहा है
आजकल घर का
पालतू कुत्ता
भौंक रहा है तो
भौंक रहा है
रोकने की कोशिश
भी जारी है
पर फिर भी कुछ
कहीं नहीं हो रहा है
अब जब आदमी को
मौका मिल रहा है
स्कूल जाने का
तो पढ़ लिख
ले रहा है
कोई कहीं भी उसे
रोक नहीं रहा है
जो नहीं जा पा
रहा है स्कूल
वो पढ़े लिखों की
संगत में रहकर
पढ़ने लिखने की
सोच ले रहा है
क्या बुरा कर रहा है
जहाँ तक कुछ
लिख लेने की
बात आती है
लिखना बस
चाहने तक की
बात होती है
हर कोई कुछ ना कुछ
लिख ही ले रहा है
अब कौन लिख रहा है
क्या लिख रहा है
क्यों लिख रहा है
किस पर लिख रहा है
किसी को इस सब से
कहाँ कोई मतलब
जैसा ही हो रहा है
खाना खाता है हर कोई
एक समय मिल गया
तो भी ठीक
नहीं तो कोई दो दो समय
भी अपना पेट भर रहा है
सुबह से लेकर शाम तक
कभी ना कभी फारिग
भी हो ले रहा है
चल रहा है होना ही है
इसलिये हो रहा है
किसी के फारिग
हो लेने से किसी को
क्या कोई फर्क पड़ रहा है
क्या किया जाये अगर
दिमाग किसी का
चल रहा है
चल रहा है तो
चल रहा है
कमप्यूटर के प्रिंटर का
रिफिल जो क्या है
कह दिया जाये
आज खाली हो रहा है
बाजार में नया
नहीं मिल रहा है
फर्क बस इतना है
कि पालतू कुत्ता
अकेला भौं भौं
नहीं कर रहा है
पूरी रात भौकता है
जब एक बार
शुरु कर रहा है
शहर के हर कोने से
कोई ना कोई जानवर
पालतू या आवारा
उसका साथ देने में
कोई कसर भी
नहीं कर रहा है
बात अलग है
कि उलूक के पल्ले
कुछ नहीं पड़ रहा है
इतना सोच कर बस
खुश हो ले रहा है
कि पढ़े लिखे होने का
असर कहीं तो
किसी पर पड़ रहा है !

शनिवार, 28 जुलाई 2012

हिन्दी कुत्ता अंग्रेजी में भौंका

बहुत सारे कुत्ते
अगर भौंकना
शुरु हो जायें
एक साथ

क्या कोई
बता सकता है
कि हिंदी में
भौंक रहा है
या अंग्रेजी में

लेकिन
कभी कभी
ऎसा भी
देखने में
आ जाता है
हिंदी भाषी
एक कुत्ता
अचानक
अंग्रेजी में
भौंकना शुरु
हो जाता है

हाँ
ऎसा भी बस
तभी देखने
में आता है
जब वो
हवाई जहाज
से इधर
उधर जाता है

अब आप कहेंगे
कुत्ता था
ये समझ
में आता है
भौंक रहा था
वो भी समझ में
आता है

हिन्दी में
भौंका था
या
अंग्रेजी में था
ये आप को कैसे
पता चल पाता है

अब जनाब
क्या
सारी की
सारी बात
हम ही
आपको
बताते
चले जायेंगे

कुछ बातें
आप अपने
आप भी
पता नहीं
लगायेंगे

पता लगाईये
और
हमें भी बताइये

कुछ पैसा
खर्च वर्च
कर जाईये

हवाई
जहाज से
यात्रा कर
के आईये

आप जरूर
किसी ना
किसी ऎसे
कुत्ते से
टकरायेंगे

जमीन पर
उसे हिन्दी
में भौंकता
हुआ पायेंगे

और
हवाई जहाज
के उड़ते ही
आसमान मे

आप
आश्चर्य चकित
हो जायेंगे

जब उसी
कुत्ते को

अंग्रेजी में
भाषण
फोड़ता
हुआ पायेंगे । 

गुरुवार, 29 मार्च 2012

अंत:विषय दृष्टिकोण

विद्यालय से
लौट कर
घर आ रहा 
हूँ

आज का
एक वाकया
सुना रहा हूँ

सुबह जब
विद्यालय के
गेट पर पहुँचा

हमेशा मिलने
वाला काला कुत्ता
रोज की तरह
मुझपर
नहीं भौंका

आज वो
अपना मुँह
गोल गोल
घुमा रहा था

मैंने उसकी
तरफ देख
कर पूछा

ये क्या नया
कर रहे हैं
जनाब

बोला
मास्साब
क्यों करते हो
मुझसे मजाक

मैं सूँड
हिला कर
मक्खियाँ
भगा रहा हूँ

हाथी बनकर
उसका काम
भी निभा रहा हूँ

असमंजस में
मुझे देख कर
वो मुस्कुराया

थोड़ा सा
किनारे की
ओर खिसक
कर आया

फिर मेरे
कान में
धीरे से
फुसफुसाया

तुम कैमिस्ट्री
क्यों नहीं
पढ़ा रह हो

रोज फालतू
की एक
कविता यहाँ
चिपका रहे हो

जमाना
बहुत आगे
आजकल
जा रहा है

फिर तुम
मेरे को
पीछे की
ओर क्यों
खिसका
रहे हो

अंत:विषय
दृष्टिकोण
क्या तुमको
नहीं आता है

इसमें वो
बिल्कुल भी
नहीं किया
जाता है
तुमको अच्छी
तरह से
जो आता है
और
दूसरा
उसको
अच्छी तरह
से समझ
जाता है

तुम डाक्टर
हो तो स्कूल
चले जाओ

मास्टर हो
तो तबला
हारमोनियम
कुछ बजाओ

समय
के साथ
नया काम
करते चले
जाना चाहिये

जो
किसी की
समझ में
भी नहीं
आना चाहिये

पुराने
कामों का
बक्सा
बना कर
कुवें में
फेंक कर
आना चाहिये

कल से
किसी मुर्गे
को यहाँ
काम पर
लगवाइये

बाँग बिल्ली
दे देगी
उससे यहाँ
भौंकवाइये।