उलूक टाइम्स: हिन्दी
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गुरुवार, 22 जून 2017

हिन्दी के ठेकेदारों की हिन्दी सबसे अलग होती है ये बहुत ही साफ बात है

हिन्दी में
लिखना
अलग बात है

हिन्दी
लिखना
अलग बात है

हिन्दी
पढ़ लेना
अलग बात है

हिन्दी
समझ लेना
अलग बात है

हिन्दी
भाषा का
अलग प्रश्न
पत्र होता है

साहित्यिक
हिन्दी
अलग बात है

हिन्दी
क्षेत्र की
क्षेत्रीय भाषायें

हिन्दी
पढ़ने
समझने
वाले ही

समझ
सकते हैं
समझा
सकते हैं

ये सबसे
महत्वपूर्ण

समझने
वाली बात है

हिन्दी बोलने
लिखने वाले
हिन्दी में लिख
सकते हैं

किस लिये
हिन्दी में
लिख रहे हैं

हिन्दी
की डिग्री
रखे हुऐ
लोग ही
पूछ सकते हैं

हिन्दी
के भी कभी
अच्छे दिन
आ सकते हैं

कब आयेंगे
ये तो बस
हिन्दी की
डिग्री लिये
हुऐ लोग ही
बता सकते हैं

भूगोल
से पास
किये लोग

कैसे
हिन्दी की
कविता बना
सकते है

कानून
बनना
बहुत जरूरी है

कौन सी
हिन्दी

कौन
कौन लोग
खा सकते हैं
पचा सकते हैं

नेताओं की
हिन्दी अलग
हिन्दी होती है

कानूनी
हिन्दी
समझने की
अलग ही
किताब होती है

‘उलूक’
तू किस लिये
सर फोड़ रहा है
हिन्दी के पीछे

तेरी हिन्दी
समझने वाले
हैं तो सही

कुछ तेरे
अपने ही हैं

कुछ
तेरे ही हैं
आस पास हैं

और
बाकी
बचे कुछ
क्या हुआ

अगर बस
आठ पास हैं

हिन्दी को
बचा सकते हैं
जो लोग

वो
बहुत
खास हैं
खास खास हैं।


चित्र साभार: Pixabay

शनिवार, 28 जुलाई 2012

हिन्दी कुत्ता अंग्रेजी में भौंका

बहुत सारे कुत्ते
अगर भौंकना
शुरु हो जायें
एक साथ

क्या कोई
बता सकता है
कि हिंदी में
भौंक रहा है
या अंग्रेजी में

लेकिन
कभी कभी
ऎसा भी
देखने में
आ जाता है
हिंदी भाषी
एक कुत्ता
अचानक
अंग्रेजी में
भौंकना शुरु
हो जाता है

हाँ
ऎसा भी बस
तभी देखने
में आता है
जब वो
हवाई जहाज
से इधर
उधर जाता है

अब आप कहेंगे
कुत्ता था
ये समझ
में आता है
भौंक रहा था
वो भी समझ में
आता है

हिन्दी में
भौंका था
या
अंग्रेजी में था
ये आप को कैसे
पता चल पाता है

अब जनाब
क्या
सारी की
सारी बात
हम ही
आपको
बताते
चले जायेंगे

कुछ बातें
आप अपने
आप भी
पता नहीं
लगायेंगे

पता लगाईये
और
हमें भी बताइये

कुछ पैसा
खर्च वर्च
कर जाईये

हवाई
जहाज से
यात्रा कर
के आईये

आप जरूर
किसी ना
किसी ऎसे
कुत्ते से
टकरायेंगे

जमीन पर
उसे हिन्दी
में भौंकता
हुआ पायेंगे

और
हवाई जहाज
के उड़ते ही
आसमान मे

आप
आश्चर्य चकित
हो जायेंगे

जब उसी
कुत्ते को

अंग्रेजी में
भाषण
फोड़ता
हुआ पायेंगे । 

गुरुवार, 21 जून 2012

तुमको तो कुछ आता है

सुना है तुमको
भी कुछ आता है
मेरे को मेरे पड़ोस
में रहने वाला यहीं का
एक मास्टर बताता है
लिखते विखते हो
फिर हिन्दी में टाईप
भी कर ले जाते हो
मेरी समझ में ये
लेकिन नहीं आता
इतनी मेहनत फालतू
काहे कर जाते हो
सीधे सीधे घर के
अखबार में ही
कुछ क्यों नहीं
छपा ले जाते हो
अखबार तो बहुत से
लोगों के द्वारा देखा
और पढा़ जाता है
जिसे कुछ भी नहीं
आता है वो भी अखबार
एक जरूर खरीद
के ले जाता है
अड़ोस पड़ोस मोहल्ले वाले
नाई धोबी सब्जी वाले
को भी पता इस तरह
चल जाता है 
कोई लिख रहा है कुछ
समझ मे नहीं भी आये
तब भी वो कुछ तो
समझ जाता है
कि लिखने वाले को
कुछ आता है
कंप्यूटर में लिखने से
तुमको क्या मिल जाता है
कितने आदमी को
ये बता पाता है
कि तुमको भी
कुछ आता है
कुछ रोज के मजबूरी में
इधर से गुजरने वालोंं को
तो पता चल जरूर जाता है
उसमें से एक कुछ
पढ़ पाता है और
कुछ कह भी जाता है
एक बिना पढे़ लाईक
कर के चला जाता है
किसी को समझ में
नहीं भी आये तो भी
उसको शेयर करने में
ही मजा आ जाता है।