मुड़ा तुड़ा कागज का एक टुकड़ा
मेज के नीचे कोने में पड़ा मुस्कुराता है
लिखी होती है कोई कहानी अधूरी उसमें
जिसको कह लेना
वाकई आसान नहीं हो पाता है
ऎसे ही पता नहीं कितने कागज के पन्ने
हथेली के बीच में निचुड़ते ही चले जाते हैं
कागज की एक बौल होकर
मेज के नीचे लुढ़कते ही चले जाते हैं
ऎसी ही कई बौलों की ढेरी के बीच में बैठे हुऎ लोग
कहानियाँ बनाने में माहिर हो जाते हैं
एक कहानी शुरु जरूर करते हैं
राम राज्य का सपना भी दिखाते हैं
राजा बनाने के लिये किसी को भी
कहीं से ले भी आते हैं
कब खिसक लेते हैं बीच में ही और कहाँ को
ये लेकिन किसी को नहीं बताते हैं
अंदर की बात को कहना
इतना आसान कहाँ होता है
कागजों को निचोड़ना नहीं छोड़ पाते हैं
कुछ दिन बनाते हैं कुछ और कागज की बौलें
लोग राम और राज्य दोनो को भूल जाते हैं
ऎसे ही में कहानीकार और कलाकार
नई कहानी का एक प्लॉट ले
हाजिर हो जाते हैं ।
राम-राज्य स्थापित हो चुका है. पर इस बार राम जी के मंत्रिमंडल में रावणी-गुट छाया हुआ है.
जवाब देंहटाएंउलूक हमारे भाग्य-विधाताओं की सदाशयता पर संदेह करता है. इस घोर पाप के लिए उसे क्या दंड दिया जाए?
जवाब देंहटाएंकिसी को सुनहरे सपने दिखाना तो अच्छी बात है लेकिन उन्हें साकार करने से पहले ही उन्हें भूल जाना एक अलग बात है.
किसी बेचारे की भूल जाने की बीमारी पर सवालिया निशान लगाना बुरी बात है.