उलूक टाइम्स: उर्जा
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शुक्रवार, 2 अगस्त 2019

बधाई प्रिय रवीश कुमार एक अच्छा दिन आया है आज कई सालों के बाद



एक 

लम्बे 
अन्तराल
के
पश्चात 

जैसे 
कुछ सुबह 
सी हुई

एक 
काली 
घुप्प अंधेरी 
रात के बाद 

रोशनी 
की
एक 
किरण आई 

सालों
से 
अन्धे पड़े हुऐ 

उनींदे 
खयालातों
को 
कुछ कुछ याद 

अप्रत्याशित 

सुना 
समाचार 

रवीश 
को मिला है 

नोबेल 
एशिया का 

सोच से 
बाहर
की 
हुई
वैसे भी 

इस 
समय
के 
हिसाब से 
ये
बात 

उर्जा 
संचरित
हुई 

मिला 
आत्मबल
को 

जैसे 
खुद का
ही 

लौट कर 

चुका 

थोड़ा
कुछ 
बढ़ा 
घटा घटाया 
आत्मविश्वास 

मेहनत 
बरबाद
नहीं होती 

ईमानदारी 
से
लगे रहना 

प्रश्न 
पूछना
सत्ता से 
निर्भय होकर 

सबके
बस की 
नहीं होती 
इस
तरह की बात 

समझ 
अपनी अपनी 
मतलब से 
अपनी बनाये 
लोगों को 

लग
रहा होगा 
लगना
ही चाहिये 

झटका 
और 
निश्वास 

दिख 
रहा है 

दीवालियापन 
सोच का 
सिकुड़
चुके 
दिमागों का 

बधाई 
की
जगह 
कर रहे हैं 

जो
जुगाली 
गालियों की 

बाँधे 
हाथ में हाथ 

गर्व 
देश के 
लिये है 

देशवासियों 
के लिये है 

सम्मानित 
हुआ है 

एक 
देशवासी ही 

खुश है 
‘उलूक’ भी 
हाथ में लिये 
आईना 

शक्ल 
अपनी 
सोचता हुआ 

आँख 
बन्द करके 

दिमाग से 
देखने के 
करतबों की 

किताबों 
के नाम 

करता 
हुआ याद । 

चित्र साभार: https://www.business-standard.com

रविवार, 11 दिसंबर 2011

बूढ़े के भाग से छींका टूटा

कल की कहानी 
आज
चौबीस घंटे 
पुरानी हो गयी

पड़ोसन
जो 
कल 
सिर्फ मम्मी थी
आज
नानी हो गयी

अखबार में थे 
कई समाचार
कुछ गंभीर कुछ चटपटे
और
कुछ रसीले मसालेदार 

बावरे मियां
बिना चश्मे के हो रहे थे रंगीले

जो
साठ में
चले जाने 
वाले थे
और
इसीलिये हो 
रहे थे ढीले

कल अचानक
हुवा उन सब में 
उर्जा का संचार

हो ही गयी पैंसठ 
सुन कर
बिस्तरे से उड़
 पड़े सारे बीमार 

नींद में 
जैसे ही पत्नी ने सुनाया
फ्रंट पेज 
का समाचार

आज ऐसे सारे  सैनिक 
लौट के आने लगे लगातार 

छुट्टियां
करवा दी 
सब ने सारी कैंसिल
और
सारे के सारे
बिना घंटी सुने 
कक्षाओं मे जाने लगे
वादन पूरा होने के बाद भी
अब तक 
बाहर निकलने को
नहीं हैं तैयार।

चित्र साभार: 
https://www.gograph.com