सब देखते हैं
तू भी देख कर आ
किसी ने नहीं है तुझको कहीं रोका
थोड़ा बतायेगा
चलेगा
चलेगा
सब कुछ मत बता
हमको भी तो रहता ही होगा
कुछ पता
कुछ पता
कोई नई छमिंंया
देख कर आया है अगर तो
देख कर आया है अगर तो
किस्सा सुना जा
काले बादल की तरह रोज
कड़कड़ाता है यहाँ
कभी रिमझिम सी बारिश की फुहार भी
दिखा जा
दिखा जा
कभी कभी
कहीं पर थोड़ी मेहनत भी कर लिया कर
कहाँ जा रही है दुनियाँ नये जमाने में
देख भी कुछ लिया कर
देखते सुनते सभी आते हैं
कुछ ना कुछ इधर उधर बनाते हैं
अपने सपने अपने ख्वाब भी मगर
एक तू है
लकीर को पीटने वाला फकीर बन जाता है
जो जो देख कर आता है
यहाँ ला कर उलट पलट जाता है
अरे
कुछ अच्छा होता
कुछ अच्छा होता
तो अखबार में नहीं आ रहा होता
साथ में माला पहने हुऎ तेरी
फोटो भी दिखा रहा होता
कब
सुधरेगा
सुधरेगा
अब तो सुधर जा
लोगों से कुछ तो सीख
कब ये सब सीखेगा
दूध देख कर आता है तो
थोड़ा जामुन भी मिला लिया कर
दही बना कर चीनी के संग भी
कभी किसी को खिला दिया कर
'उलूक'
खाली खाली
दूध यहाँ मत लाया कर
लाता ही है
किसी मजबूरी में अगर
रख दिया कर
कम से कम
रोज तो
ना फैलाया कर ।
चित्र सभार: https://economictimes.indiatimes.com/