उलूक टाइम्स: जानवर की खबर और आदमी की कबर

सोमवार, 1 अक्टूबर 2012

जानवर की खबर और आदमी की कबर




हथिनी के बच्चे का नहर में समाना
कोशिश पर कोशिश नहीं निकाल पाना
हताशा में चिंघाड़ना और चिल्लाना
हाथियों के झुंड का 
जंगल से निकल कर आ जाना
आते ही दो दलों में बट जाना
नहर में उतर कर बच्चे को धक्के लगाना
बच्चे का सकुशल बाहर आ जाना
हथिनी का बच्चे के बगल में आ जाना
हाथियों का सूंड में पानी भर कर लाना
बच्चे को नहलाकर वापस निकल जाना
पूरी कहानी का फिल्मी हो जाना
जंगली जीवन की सरलता के
जीवंत उदाहरण का सामने आ जाना
आपदा प्रबंधन का नायाब तरीका दिखा जाना
नजर हट कर 
अखबार के दूसरे कोने में जाना
आदमी की चीख किसी का भी ना सुन पाना
बच्चे के उसके मौत को गले लगाना
आपदा प्रबंधन का पावर पोइंट प्रेजेन्टेशन याद आ जाना
सरकार का 
लाश की कीमत कुछ हजार बताना
सांत्वना की चिट्ठी सार्वजनिक करवाना
मौत की जाँच पर कमेटी बिठाना
तरक्की पसंद आदमी की सोच का
जानवर हो जाना ।

चित्र साभार: https://www.upi.com/

11 टिप्‍पणियां:

  1. सदैव की तरह बहुत सटीक प्रस्तुति..

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  2. डा. सुशील जोशी
    उल्लूक टाईम्स
    बुद्धिमान को चाहिए, इक दिन में दो बार |

    तन मन से उल्लू बने, फिर देखे संसार |


    फिर देखे संसार, मुबारक जन्म-दिवस हो |


    रहे प्रफुल्लित गात, कभी नहिं तू परबस हो |

    सहमत हम भी आप से बिलकुल हैं श्रीमान ,

    लिखते रहें उलूक -श्री एक दिन बनें महान .

    जन्म दिन मुबारक यहाँ भी वहां भी .बहुत सुन्दर उदगार !

    ram ram bhai
    मुखपृष्ठ

    मंगलवार, 2 अक्तूबर 2012
    ये लगता है अनासक्त भाव की चाटुकारिता है .

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  3. व्यंजना और तंज़ और कथा ,उपदेश सब कुछ है इस रचना में .बुद्धि कौशल में भी हाथी आदमी के सबसे ज्यादा करीब है .जन दिन मुबारक .
    सहमत हम भी आप से बिलकुल हैं श्रीमान ,

    लिखते रहें उलूक -श्री एक दिन बनें महान .

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  4. pahle janm din ki hardik badhayee swikare bandhuvr'aadmio ko janvaro se sikhne ka apratyksh sanket dekar aadmio ke mooh par tamacha lagana jaruri ho gya hai,

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  5. जन्म-दिवस पर हार्दिक शुभ कामनाये !
    कई क्षेत्रों में जानवर इन्सान से अधिक श्रेष्ठ होते हैं .

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  6. जन्म-दिवस पर हार्दिक शुभ कामनाये !हमेशा की तरह सुन्दर सटीक प्रस्तुति..

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  7. वाह !, मार्मिक वर्णन है. तभी तो किसी ने कहा है की इंसानों से जानवर अच्छे होते हैं...

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  8. तरक्की पसंद आदमी
    की सोच का
    जानवर हो जाना!

    भीतर तक चुभने वाला कटाक्ष है।

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