एक लहर उठती है उठे
कहर लिख दे
एक लहर बैठती है बैठे
ठहर
लिख दे
भीड़ से निकल
बस्ती नहीं शहर लिख दे
कोशिश कर
कुछ मीठा सा जहर लिख दे
नशे में रह
मत निकल बाहर
मत निकल बाहर
बहर लिख दे
रेत के टीले कहीं मैदान कहीं
लहर लिख दे
मांग कुछ
थोड़ा सा कोशिश कर
थोड़ा सा कोशिश कर
महर लिख दे
सूखे खेत के बीच
जा बड़ी सी एक नहर लिख दे
जा बड़ी सी एक नहर लिख दे
कुछ तो लिख
रोज नहीं कभी
एक पहर लिख दे
रोज नहीं कभी
एक पहर लिख दे
किस को पड़ी है
‘उलूक’ गर गहर लिख दे |
‘उलूक’ गर गहर लिख दे |
चित्र साभार: http://clipart-library.com/poison-cliparts.html
महर = वह धनराशि है जो विवाह के समय वर या वर का पिता, कन्या को देता है।
कहर= गुस्सा, क्रोध।
बहर= आकाश, आस्मान।
गहर= पृथ्वी-तल में पाया जानेवाला कोई ऐसा गहरा गड्ढा, जो प्राकृतिक कारणों से बना हो