बना दिया गया एक कुऎं का राजा
मिलने जा पहुँचा मेंढकों से
जब सबने उससे बोला
एक बार तो यहां आजा
एक बार तो यहां आजा
कतार में खडे़ मेंढक
एक एक कर
अपना परिचय उसे देते ही जा रहे थे
एक एक कर
अपना परिचय उसे देते ही जा रहे थे
कुछ
कुऎं ही में रहे हुऎ थे हमेशा
कुछ
अंदर बाहर भी
कभी कभी आ जा रहे थे
अंदर बाहर भी
कभी कभी आ जा रहे थे
अपनी अपनी
जीभों की लम्बाई
बता बता कर इतरा रहे थे
किस किस तरह के
कीडे़ मकौडे़ मच्छर
कीडे़ मकौडे़ मच्छर
वो कैसे कैसे खा रहे थे
महाराज लेकिन
ये सब
कहाँ सुनने जा रहे थे
कहाँ सुनने जा रहे थे
व्हेल एक
पाल क्यों नहीं लेते
सब मेंढक मिल बाट कर
अच्छी तरह समझाये जा रहे थे
साथ में बता रहे थे
जिस समुद्र को
वो यहाँ के राज पाट के लिये
छोड़ के आ रहे थे
वो यहाँ के राज पाट के लिये
छोड़ के आ रहे थे
वहाँ
एक हजार समुद्री व्हेलों को
खुद पाल के आ रहे थे
सारे समुद्र के
समुद्री जन
व्हेल का तेल ही तेल बना रहे थे
कीडे़ मकौडे़ नहीं
बड़ी मछली का मांस भी
साथ में खा रहे थे
वहाँ की
तरक्की का ये उपक्रम
वो मेंढकों से कुऎं में भी
करवाना चाह रहे थे
मेंढक
शर्मा शर्मी
हाँ में हाँ मिला रहे थे
मन ही मन
अपने कूदने की लम्बाई भी
भूलते जा रहे थे
बेचारों को
याद भी नहीं रह पा रहा था
कि
नम्बर एक और नम्बर दो करने भी
अभी तक वो लोग
नम्बर एक और नम्बर दो करने भी
अभी तक वो लोग
खेतों की ओर ही तो जा रहे थे
कितने कुऎं से बना होता होगा
वो समुद्र
जहाँ से उनके राजा जी यहाँ आ रहे थे
कुंद हो रही थी बुद्धि अब
सोच रहे थे
कुछ सोच भी क्योंं नहींं पा रहे थे ।
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