दैनिक हिन्दुस्तान 15/01/2019 |
जरूर
फिर से
कोई
बबाल होगा
बिकेगा
एक बार और
बिका घर
अलग
धमाल होगा
उस घर से
उठाया था
घर कभी
सोचे बिना
कोई
सवाल होगा
इस घर में
मिलाया था
सोच कर
कल सब
अपना ही
माल होगा
घर बेच
कर बना
घर का
मालिक
कितना
निहाल होगा
कफन
तीसरे साल
बदल
देने वाला
कितना
खुशहाल होगा
पाँच साल में
निकलेगा
फिर जनाजा
क्या
सूरते
हाल होगा
किसका मरा
कुछ नहीं होगा
सबसे आगे
सिर मुँडाया
वही
माई का
लाल होगा
बेवकूफ
‘उलूक’
दौड़ेगा
छोड़ कर
चलना
घुटनों के बल
देखना
बेमिसाल होगा
समझदारों
के गिरोह में
खिल उठेंगे
चेहरे सभी
इस
नये साल
पक्का
बेवकूफों का
फिर
इन्तकाल होगा।
चित्र साभार: दैनिक हिंदुस्तान, मंगलवार, 15/01/2019 पृष्ठ 11