शेर
लिखते होंगे
शेर
सुनते होंगे
शेर
समझते भी होंगे
शेर हैं
कहने नहीं
जा रहा हूँ
एक शेर
जंगल का देख कर
लिख देने से शेर
नहीं बन जाते हैं
कुछ
लम्बी शहरी
छिपकलियाँ हैं
जो आज
लिखने जा रहा हूँ
भ्रम रहता है
कई सालों
तक रहता है
कि अपनी
दुकान का
एक विज्ञापन
खुद ही
बन कर
आ रहा हूँ
लोग
मुस्कुराहट
के साथ मिलते हैं
बताते भी नहीं है
कि खुद की नहीं
किसी और की
दुकान चला रहा हूँ
दुकानें
चल रही हैं
एक नहीं हैं
कई हैं
मिल कर
चलाते हैं लोग
मैं बस अपना
अनुभव बता रहा हूँ
किस के लिये बेचा
क्या बेच दिया
किसको बेच दिया
कितना बेच दिया
हिसाब नहीं
लगा पा रहा हूँ
जब से
समझ में आनी
शुरु हुई है दुकान
कोशिश
कर रहा हूँ
बाजार बहुत
कम जा रहा हूँ
जिसकी दुकान
चलाने के नाम
पर बदनाम था
उसकी बेरुखी
इधर
बढ़ गयी है बहुत
कुछ कुछ
समझ पा रहा हूँ
पुरानी
एक दुकान के
नये दुकानदारों
के चुने जाने का
एक नया
समाचार
पढ़ कर
अखबार में
अभी अभी
आ रहा हूँ
कोई कहीं था
कोई कहीं था
सुबह के
अखबार में
उनके साथ साथ
किसी हमाम में
होने की
खबर मिली है
वो सुना रहा हूँ
कितनी
देर में देता
है अक्ल खुदा भी
खुदा भगवान है
या भगवान खुदा है
सिक्का उछालने
के लिये जा रहा हूँ
‘उलूक’
देर से आयी
दुरुस्त आयी
आयी तो सही
मत कह देना
अभी से कि
कब्र में
लटके हुऐ
पावों की
बिवाइयों को
सहला रहा हूँ ।
चित्र साभार: https://www.gograph.com
लिखते होंगे
शेर
सुनते होंगे
शेर
समझते भी होंगे
शेर हैं
कहने नहीं
जा रहा हूँ
एक शेर
जंगल का देख कर
लिख देने से शेर
नहीं बन जाते हैं
कुछ
लम्बी शहरी
छिपकलियाँ हैं
जो आज
लिखने जा रहा हूँ
भ्रम रहता है
कई सालों
तक रहता है
कि अपनी
दुकान का
एक विज्ञापन
खुद ही
बन कर
आ रहा हूँ
लोग
मुस्कुराहट
के साथ मिलते हैं
बताते भी नहीं है
कि खुद की नहीं
किसी और की
दुकान चला रहा हूँ
दुकानें
चल रही हैं
एक नहीं हैं
कई हैं
मिल कर
चलाते हैं लोग
मैं बस अपना
अनुभव बता रहा हूँ
किस के लिये बेचा
क्या बेच दिया
किसको बेच दिया
कितना बेच दिया
हिसाब नहीं
लगा पा रहा हूँ
जब से
समझ में आनी
शुरु हुई है दुकान
कोशिश
कर रहा हूँ
बाजार बहुत
कम जा रहा हूँ
जिसकी दुकान
चलाने के नाम
पर बदनाम था
उसकी बेरुखी
इधर
बढ़ गयी है बहुत
कुछ कुछ
समझ पा रहा हूँ
पुरानी
एक दुकान के
नये दुकानदारों
के चुने जाने का
एक नया
समाचार
पढ़ कर
अखबार में
अभी अभी
आ रहा हूँ
कोई कहीं था
कोई कहीं था
सुबह के
अखबार में
उनके साथ साथ
किसी हमाम में
होने की
खबर मिली है
वो सुना रहा हूँ
कितनी
देर में देता
है अक्ल खुदा भी
खुदा भगवान है
या भगवान खुदा है
सिक्का उछालने
के लिये जा रहा हूँ
‘उलूक’
देर से आयी
दुरुस्त आयी
आयी तो सही
मत कह देना
अभी से कि
कब्र में
लटके हुऐ
पावों की
बिवाइयों को
सहला रहा हूँ ।
चित्र साभार: https://www.gograph.com