उलूक टाइम्स: तोड़
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बुधवार, 11 दिसंबर 2019

बधाई बधाई तेरा घर टूटने की

बधाई बधाई हो रही है तेरा घर टूटने की और तेरे लिये वो ही कोई मरा जैसा है
तू जानता है ‘उलूक’ चीख चिल्ला गला फाड़ कर
इस नक्कारकाने में अपनी तूती बजाने के लिये मजबूत गिरोह का बाजा खरीदना होता है



तेरे सामने तेरे घर को तोड़ कर
एक टुकड़ा देखता क्यों नहीं है फैंका नहीं है
किस लिये रोता है 

गुलाब की कलम है
माली नहीं भी है तो क्या हुआ रोपने के लिये
सोच ले कोई जरूर होगा मवाली सही कहीं ना कहीं
उसके सामने जा कर दीदे फाड़ लेना पूछ लेना
क्यों नहीं बोता है

घर तेरा टूट गया क्या हुआ
देखता क्यों नहीं मोहल्ले के दो चार और घर मिला कर
नया घर बनाने का
सरकारी मजमा ढोल नगाड़े बजाता हुआ
अखबार की खबर में सुबह सुबह रूबरू
आजकल रोज का रोज तो होता है

तुझसे नहीं पूछा
नयी बोतल में पुरानी शराब ही नहीं
कुछ और भी मिलाया है
कॉकटेल कहते हैं
इतना तो नहीं पीने वाले को भी
पता होता है
गम मत कर यहाँ का दस्तूर है यहाँ यही होता है

मरीज हस्पताल की बात चिकित्सक से काहे पूछनी
दुकाने बहुत हैं उनके सरदार को
ज्यादा मालूम होता है

स्कूल की बात मास्टर से काहे पूछनी
झाडू देने वाला रोज सुबह का कूड़ा
रोज निकालता है
पढ़ने लिखने वाले के बारे में उसको ज्यादा पता होता है

तेरे शहर के लोग शरीफ हैंं
इधर उधर से देखे हुऐ बहुत कुछ को बताने का
उनको ज्यादा अनुभव होता है

कबूतरों के बारे में काहे कौओं से पूछना
कालों को सफेदों के बारे में
कौन सा सबसे ज्यादा पता होता है

बधाई बधाई हो रही है तेरा घर टूटने की
 तेरे लिये वो ही कोई मरा जैसा है तू जानता है

‘उलूक’
चीख चिल्ला गला फाड़ कर
इस नक्कारकाने में अपनी तूती बजाने के लिये
सबसे मजबूत गिरोह का बाजा खरीदना होता है।

चित्र साभार: https://www.shutterstock.com/




अगर आप बुद्धिजीवी कैटेगेरी में आते है अगर आप अल्मोड़ा से हैं और अगर आप बेवकूफ नहीं हैं तो कृपया लिखे को ना पढ़े ना समझने की कोशिश करें ना लाईक करें ना टिप्पणी देने का प्रयत्न करें। ये बस एक वैधानिक चेतावनी है। ये कुमाउँ विश्वविद्यालय से अल्मोड़ा को अलग करने के विरोध की बकवास है।

सोमवार, 3 अगस्त 2015

कुछ शब्द शब्दों में शरीफ कुछ चेहरे चेहरों में शरीफ

कुछ शरीफ चेहरे
शरीफ से कुछ
शब्द ओढ़े हुऐ
लिये हुऐ सारे
के सारे शरीफ
शब्दों को अपने
शरीफ हाथों में
करते हुऐ कुछ
शरीफ शब्दों को
इधर से कुछ उधर
पहुँचाने में लगे हों
जैसे इस शरीफ
हथेली से उस
शरीफ हथेली तक
बहुत ही शराफत से
रहते हुऐ शरीफों के साथ
शरीफ शब्दों को धोते
बहुत सफाई के साथ
दिखाई देते शरीफों के
खेतों में शराफत से बोते
कुछ बीज शरीफ
से छाँट कर
होता तो ऐसे
में कुछ नहीं
कह ही दी जाये
इतनी जरूरी
बात भी नहीं
कुछ कमजोरी कहें
कुछ मजबूरी कहें
कुछ श्रद्धा कहें
कुछ सबूरी कहें
कुछ शरीफों
के मेलों की
कुछ शरीफों के
शरीफ झमेलों की
शरीफ ओढ़े कुछ शरीफ
शरीफ मोड़े कुछ शरीफ
शरीफ तोड़े कुछ शरीफ
कुछ शब्द शब्दों में शरीफ
कुछ चेहरे चेहरों में शरीफ ।

चित्र साभार: www.clipartpanda.com

बुधवार, 20 मई 2015

रहम कर अक्षरों पर

बस भी कर
रहने दे
परेशान
हो गये हैं
अक्षर
शायद सभी

तेरी बातों
में आकर
तेरे लिये
तेरी बातें
बनाते बनाते

बख्स भी दे
अच्छा नहीं है 

उछल कूद
कराना
इतना ज्यादा

दुखने लगे
हैं जोड़
ऊपर से लेकर
नीचे तक

अक्षरों को
हो सके तो
इतना
मत तोड़
अक्षर भी
जुड़ते हैं
मेहनत से
खुद ही
हर जगह
सबके साथ
सीधे सीधे

सीधे रास्ते के
होते हैं आदी
सीधे अक्षर
सभी जोड़ते हैं
अपने अपने
हिसाब से
कहीं कोई
कष्ट नहीं
होता है

ज्यादातर का
जोड़ घटाना
गुणा भाग
एक सा
होता है
आदत हो
जाती है
अक्षरों
को भी
जोड़ घटाना
गुणा भाग
करने वालों
को भी
एक दूसरे की

तेरा जैसा भी
बहुत सारों
के बीच में
कोई एक
होता है
तोड़ता है
मरोड़ता है
सीधे रास्तों
को छोड़ता है
पकड़ लेता है
कोई ना कोई
खूंटा कहीं

दीवार का
छोड़ कर
पेड़ पर जैसे
टाँक कर
अक्षरों को
छोड़ देता है

कब तक
सहे कोई
होता है
विद्रोही
सीधे साधे
चलने का
आदी अक्षर
जब कभी
बहुत ज्यादा
उन्हे टेढ़ा मेढ़ा
बना कर
टेढ़े मेढ़े
रास्ते में
मजबूरन
चलने के लिये
घुसेड़ देता है

पढ़ने वाला भी
रोज रोज के
टेढ़े मेढ़े को
देख कर
आना ही
छोढ़ देता है

इसीलिये
फिर से सुन
बस भी कर
रहने दे
परेशान
हो गये हैं
अक्षर
शायद सभी
तेरी बातों
में आकर
तेरे लिये
तेरी बातें
बनाते बनाते
किसी दिन
एक दिन
के लिये
ही सही
अक्षरों को
तोड़ना
मरोड़ना
और
निचोड़ना
छोड़ कर
उन्हे भी
कुछ
सीधे रास्ते
का
सीधा साधा
विराम
क्यों नहीं
कुछ दे
देता है ।

चित्र सभार: www.shutterstock.com