गिरोहों
से घिरे हुऐ
अकेले को
घबराना
नहीं होता है
कुत्तों
के पास
भौंकने
के लिये
कोई
बहाना
नहीं होता है
लिखना
जरूरी है
सच
ही बस
बताना
नहीं होता है
झूठ
बिकता है
घर की
बातों को
कभी भी
कहीं भी
सामने से
लाना नहीं
होता है
जैसा
घर में होता है
और
जैसा
बताना
नहीं होता है
नंगई को
टाई सूट
पहना कर
नहलाना
नहीं होता है
भगवान के
एजेंटों को
कुछ भी
समझाना
नहीं होता है
मन्दिर
में ही हो पूजा
अब
उतनी
जरूरी
से घिरे हुऐ
अकेले को
घबराना
नहीं होता है
कुत्तों
के पास
भौंकने
के लिये
कोई
बहाना
नहीं होता है
लिखना
जरूरी है
सच
ही बस
बताना
नहीं होता है
झूठ
बिकता है
घर की
बातों को
कभी भी
कहीं भी
सामने से
लाना नहीं
होता है
जैसा
घर में होता है
और
जैसा
बताना
नहीं होता है
नंगई को
टाई सूट
पहना कर
नहलाना
नहीं होता है
भगवान के
एजेंटों को
कुछ भी
समझाना
नहीं होता है
मन्दिर
में ही हो पूजा
अब
उतनी
जरूरी
नहीं होती है
भगवान
का ही जब
अब कहीं
ठिकाना
भगवान
का ही जब
अब कहीं
ठिकाना
नहीं होता है
कुछ
भी करिये
कैसा
भी करिये
करने
कराने को
देशभक्ति से
कभी भी
मिलाना
नहीं होता है
कुछ
पाने के लिये
किसी को
कुछ दे
कर आ जाना
हमाम में
नंगा होकर
नहाना
नहीं होता है
कुछ
पीटते हैं
ढोल
ईमानदारी का
ठेका लेकर
सारे
ईमानदारों
की ओर से
भगवान
और उनके
ऐजेंटों को
कुछ
बताना
नहीं होता है
उनसे कुछ
पूछने के लिये
इसीलिये
किसी को भी
कहीं आना
कहीं जाना
नहीं होता है
चोरों
उठाईगीरों
बेईमानों को
खड़े
रहना होता है
उनके
सामने से
तराजू के
दूसरे पलड़े पर
ईमानदारी को
तोलने के लिये
बेईमानी
का बाँट
रखवाना
ही होता है
इसीलिये
सजा
देकर उनको
जेल में
डालने के लिये
कहीं
जेलखाना
नहीं होता है
‘उलूक’
देशद्रोही
की चिप्पियाँ
दूसरों में
चेपने के लिये
खुद
हमाम में
जा कर नहाना
नहीं होता है
कुछ
भी करिये
कैसा
भी करिये
घर के अन्दर करिये
बाहर
गली में
आ कर
उसके लिये
शरमाना
नहीं होता है
चित्र साभार: https://www.youtube.com/watch?v=hzefdiwf-dg
कुछ
भी करिये
कैसा
भी करिये
करने
कराने को
देशभक्ति से
कभी भी
मिलाना
नहीं होता है
कुछ
पाने के लिये
किसी को
कुछ दे
कर आ जाना
हमाम में
नंगा होकर
नहाना
नहीं होता है
कुछ
पीटते हैं
ढोल
ईमानदारी का
ठेका लेकर
सारे
ईमानदारों
की ओर से
भगवान
और उनके
ऐजेंटों को
कुछ
बताना
नहीं होता है
उनसे कुछ
पूछने के लिये
इसीलिये
किसी को भी
कहीं आना
कहीं जाना
नहीं होता है
चोरों
उठाईगीरों
बेईमानों को
खड़े
रहना होता है
उनके
सामने से
तराजू के
दूसरे पलड़े पर
ईमानदारी को
तोलने के लिये
बेईमानी
का बाँट
रखवाना
ही होता है
इसीलिये
सजा
देकर उनको
जेल में
डालने के लिये
कहीं
जेलखाना
नहीं होता है
‘उलूक’
देशद्रोही
की चिप्पियाँ
दूसरों में
चेपने के लिये
खुद
हमाम में
जा कर नहाना
नहीं होता है
कुछ
भी करिये
कैसा
भी करिये
घर के अन्दर करिये
बाहर
गली में
आ कर
उसके लिये
शरमाना
नहीं होता है
चित्र साभार: https://www.youtube.com/watch?v=hzefdiwf-dg