दो और दो होता है चार
किताबों से पढ़ा जाता है
ब्लैक बोर्ड में लिखा जाता है
कोई पूछता है तो
समझाया भी उसे जाता है
दो और दो हमेशा ही
चार हो जाता है
असलियत में
दो और दो होता है पाँच
खुद समझा ऎसे ही जाता है
किया भी ऎसा ही जाता है
मौका ज्यादा अच्छा मिल रहा हो अगर
तो आठ भी कर लिया जाता है
किताब में कुछ भी लिख देने से
थोड़ा कुछ हो जाता है
जमाने की नब्ज भी तो
कोई चीज हुआ करती है
उसे भी कुछ समझा जाता है
उसके साथ चला जाये अगर
तो रास्ता आसान हो जाता है
तू भी दो और दो को चार पढ़
पर जब करता है तो पाँच कर
सामने वाला भी वही कर रहा होता है
उसको प्यार से नमस्कार कर
चार को दिखा दिया कर
एक को बचा लिया कर
सामने वाला समझदार होता है
उसको दो और दो चार
समझ में आ जायेगा
और पाँचवा तेरे लिये बच जायेगा
'उलूक' किसी को कुछ
पता भी नहीं चल पायेगा ।
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