उलूक टाइम्स: निविदा
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मंगलवार, 11 दिसंबर 2018

काला फिर से सफेद और सफेद फिर से काला हो जाने की घड़ी का समय खोज रहा है गणना करने वाले हाँफ रहे हैं

कुछ चूहे
सुना जा
रहा है

नाच रहे हैं

कुछ
पता चल
रहा है

भाग रहे हैं

किसी
जलजले
का डर है
या
किसी साँप
की हलचल
कहीं
आसपास
रेंगने की
भाँप रहे हैं

सफेद चूहों
को देखा है
खोदते हुऐ
एक मकान
की जड़ों को
कल तक

आज काले
उधर की तरफ
झाँक रहे हैं

बहुत
हड़बड़ी
के साथ
एक दूसरे
के ऊपर
चढ़ कूद
उछल कर
शोर मचाते

अपने
पंजे और दाँतों
को माँज रहे हैं

ठेका
बदल रहा है
कुछ देर में ही

निविदाओं
के पुराने
हो चुके
कागजों से

पुराने
ठेकेदार
सर्दी भगाने
के लिये
आग जला
कर ताप रहे हैं

खबर
गरम है
गरम पड़े
हुऐ नरम हैं

आकाश
की तरह
मुँह किये हुऐ
कई सारे

दिन में
तारे गिनने की
कोशिश करते

जैसे
आँखों ही
आँखों में

एक दूसरे की
पीड़ा नाप रहे हैं

‘उलूक’
तू भी देख

मुँह
ऊपर कर
आकाश की
तरफ कहीं

सबसे
खुशहाल
वही सब हैं

जो नहीं
सोच रहे हैं चूहे

और
मुँह उठा कर

कहीं
ऊपर
की तरफ
ताक रहे हैं।

चित्र साभार: https://clipartxtras.com

शुक्रवार, 13 जुलाई 2012

निविदा खुलने का समय है आया

दस सालों तक
कुछ ना किया हो
बस घर में बैठ के
वेतन लिया हो
ऎसा अनुभव
नहीं बटोर पाया
निविदा निकली थी
अखबारों में
सर्वोच्च पद के लिये
मुझ पति ने
उस पति के आसन
तक पहुँचने का
हाय बहुत सुंदर मौका
यूँ ही है गँवाया
निविदा के कितने
सील बंद लिफाफे
हो चुके हैं जमा
राज्यपिता के संदूक में
अभी तक राज ये
नहीं है खुल पाया
मुख्यमंत्री अब जब
भारी मतों से है
जीत कर आया
आशा जगी है
'ए' क्लास आवेदकों में
जिसने अपना भाग्य
लिफाफे में है
बंद करवाया
चुनाव जीत कर
मुख्यमंत्री घोषणा
है कर आया
ना जाति का है
ना क्षेत्र का है
बस है इसी राज्य का
जिसने है उन्हें जिताया
नवनिर्माण की निविदा
तो है नहीं यह
पुराने निर्माण को
खोदने की ताकत
लेकर देखना है
अब कौन है आया
पता भी तब चलेगी
यह बात हमको
कि सबसे बडी़
बोली कौन है
दे कर के आया ।