कल
दूरभाष
पर
दूरभाष
पर
हो रही
बात पर
बात पर
पुत्र
पूछ बैठा
पूछ बैठा
पिताजी
आपकी
लम्बी लम्बी
बातें तो
बातें तो
बहुत हो जा रही हैं
मुझे
समझ में ही
नहीं आ रहा है
ये क्या सोच कर
लिखी जा रही हैं
मैं
हिसाब
लगा रहा हूँ
ऐसा ही अगर
चलता चला जायेगा
तो
किसी दिन
कुछ साल के बाद
ये
इतना हो जायेगा
ना
आगे का दिखेगा
आगे का दिखेगा
ना
पीछे का छोर
ही
पीछे का छोर
ही
कहीं नजर आयेगा
इतना
सब लिखकर
वैसे भी
आपका
आपका
क्या
कर ले जाने
कर ले जाने
का इरादा है
या
या
ऐसा ही
लिखते रहने
लिखते रहने
का
आप किसी
से
आप किसी
से
कर चुके
कोई वादा हैंं
कोई वादा हैंं
सच पूछिये
तो
मेरी समझ में
आपकी लिखी
कोई बात
कभी भी
नहीं आती है
उस
समय
जो लोग
आपके लिखे
की
तारीफ
तारीफ
कर रहे होते हैं
उनकी
पढ़ाई लिखाई
मेरी
पढ़ाई लिखाई
से
पढ़ाई लिखाई
से
बहुत ही ज्यादा
आगे
नजर आती है
नजर आती है
ये सब
को
सुन कर
पुत्र को
बताना
जरूरी हो गया
लिखने विखने
का
मतलब समझाना
मजबूरी
हो गया
हो गया
मैंने
बच्चे को
अपने
कुत्ते का
उदाहरण
उदाहरण
देकर बताया
क्यों
भौंकता रहता है
बहुत बहुत
देर तक
देर तक
कभी कभी
इस पर
इस पर
क्या
उसने कभी
उसने कभी
अपना
दिमाग लगाया है
दिमाग लगाया है
क्या
उसका भौंकना
कभी
किसी के समझ
में
किसी के समझ
में
थोड़ा सा भी
आ पाया है
आ पाया है
फिर भी
चौकन्ना
करने की कोशिश
उसकी
अभी भी जारी है
अभी भी जारी है
रात रात
जाग जाग
कर
भौंकना नहीं लगता
उसे
कभी भी भारी है
कभी भी भारी है
मै
और
मेरे जैसे
दो चार
कुछ
और
इसी तरह
और
इसी तरह
भौंकते
जा रहे हैं
जा रहे हैं
कोई
सुने ना सुने
इस बात
को
हम भी
को
हम भी
कहाँ
सोच पा रहे हैं
सोच पा रहे हैं
क्या पता
किसी दिन
सियारों
की
की
टोली की तरह
हमारी
संख्या
भी
बढ़ जायेगी
बढ़ जायेगी
फिर
सारी टोली
एक साथ
मिलकर
मिलकर
हुआ हुआ
की
की
आवाज लगायेगी
बदलेगा
कुछ ना कुछ
कहीं ना कहीं
कभी तो
कभी तो
और
यही आशा
बहुत कुछ
बहुत दिनों
तक
तक
लिखवाती
ही
ही
चली जायेगी
शायद
अब मेरी बात
कुछ कुछ
तेरी भी
तेरी भी