पत्थर
होता होगा
कभी किसी जमाने में
होता होगा
कभी किसी जमाने में
इस जमाने में
भगवान कहलाने लगा है
भगवान कहलाने लगा है
कैसे
हुआ होगा ये सब
धीरे धीरे
कुछ कुछ अब
समझ में आने लगा है
कुछ कुछ अब
समझ में आने लगा है
एक साफ
सफेद झूठ को
सच बनाने के लिये
जब से कोई
भीड़
अपने आस पास बनाने लगा है
भीड़
अपने आस पास बनाने लगा है
झूठ के
पर नहीं होते हैं
उसे उड़ना भी कौन सा है
किसी
सच को दबाने के लिये
सच को दबाने के लिये
झूठा
जब से जोर से चिल्लाने लगा है
जब से जोर से चिल्लाने लगा है
शक
होने लगा है
अपनी आँखों के
ठीक होने पर भी कभी
सामने से
दिख रहे खंडहर को
हर कोई
ताजमहल बताने लगा है
दिख रहे खंडहर को
हर कोई
ताजमहल बताने लगा है
रस्में
बदल रही हैं
बहुत तेजी से इस जमाने की
‘उलूक’
शर्म को बेचकर
बेशर्म होने में
शर्म को बेचकर
बेशर्म होने में
तुझे भी अब
बहुत मजा आने लगा है
बहुत मजा आने लगा है
तेरा कसूर
है या नहीं इस सब में
फैसला कौन करे
सच भी
भीड़ के साथ जब से
आने जाने लगा है ।
भीड़ के साथ जब से
आने जाने लगा है ।
चित्र साभार: www.clipartof.com