मालूम है कि कुछ भी कहीं भी बदला नहीं है सालभर में
ना ही आगे बदलना है
ना ही आगे बदलना है
किसलिए तोलना है मिट्टी को हवा को पानी को
रहने दे उन्हें अभी संभलना है
रहने दे उन्हें अभी संभलना है
सच सच है सच को रहने देना है सच कहना नहीं है
रेत पर नंगे पाँव टहलना है
रेत पर नंगे पाँव टहलना है
निशान अपने आप ही मिट जाएंगे समय के साथ
थोड़ा झूठ को बस संभलना है
थोड़ा झूठ को बस संभलना है
कौन निराश है किसने कहा है बुरी बात है सब ठीक तो है
बिना डर रात में निकलना है
बिना डर रात में निकलना है
मौत सबको आती है एक दिन रोज का डरना अच्छा नहीं है
समय को बस फिसलना है
समय को बस फिसलना है
इसकी कुछ लिख कर उसकी कुछ लिख देने के बाद ही
घर से बाहर निकलना है
घर से बाहर निकलना है
शहर में होती हैं अफवाहें ध्यान नहीं देना है
मुसकुराते हुए गली गली टहलना है
मुसकुराते हुए गली गली टहलना है
अपनी लिखने कि हिम्मत होती तो कितने होते अर्जुन उठाते गांडीव
सब बहलना है
सब बहलना है
‘उलूक’ साल को जाना ही होता है एक दिन
तुम्हें भी निकलना है
उसे भी निकलना है
तुम्हें भी निकलना है
उसे भी निकलना है
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