उलूक टाइम्स: व्यक्तित्व
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रविवार, 15 दिसंबर 2013

मुझ गधे को छोड़ हर गधा एक घोड़ा होता है

कोई भी
समझदार

पुराना
हो जाने पर

कभी भी
भरोसा
नहीं करता है

इसी लिये
हमेशा
लम्बी रेस
का एक
घोड़ा होता है

पुराना
होने से
बचने का
तरीका भी

बहुत ही
आसान होता है

परसों तक
माना कि
बना रहा
कहीं एक
मकान होता है

आज
के दिन
एक बहुत
माना हुआ
बड़ा किसान होता है

किसी को
नजर भर
अपने को
देखने का
मौका नहीं देता है

जब तक
समझने
में आता है

किसी को
जरा सा भी
कुछ कुछ

आज के
काम को छोड़
कल के किसी
दूसरे काम
को पकड़ लेता है

एक ही
काम से
चिपके
रहने वाला

उसके
हिसाब से
एक गधा होता है

धोबी दर
धोबी के
हाथों में
होते होते
पुराने से पुराना
होता ही रहता है

धोबी
बदल देने
वाला गधा ही
बस खुश्किस्मत होता है

होता होगा
गधा कभी
किसी जमाने में

पर आज
के जमाने का

सबसे
मजबूत घोड़ा
बस वही होता है

रोज का रोज

एक नये
काम को
नये सिरे से
जो कर लेता है

किसी
के पास
इतना बड़ा
दिमाग ही
कहाँ होता है

जो ऐसों के
किये गये
काम को
समझ लेता है

एक ही
आयाम में
जिंदगी
काटने वालों
के लिये

वही तो
एक बहुआयामी
व्यक्तित्व होता है

जिसने
कुछ भी
कभी भी
कहीं भी
पूरा ही नहीं
किया होता है ।

बुधवार, 30 अक्टूबर 2013

विनम्र श्रद्धांजलि राजेंद्र जी

एक सदी के अंदर एक
ज्यादा से ज्यादा दो
बहुत हो गया तो तीन
से ज्यादा को कभी भी
नहीं गिना जाता है
राजेंद्र यादव हिंदी साहित्य
का एक ऐसा ही स्तम्भ
जब यूं ही चला जाता है
उसको पढ़ने की कोशिश
करता हुआ एक
छोटा सा आदमी
समझ भी कुछ
कहां पाता है
ऐसे भीषण व्यक्तित्व
का कहा हुआ एक
वाक्य एक किताब के
बराबर हो जाता है
सुबह सवेरे समाचार पत्र में
लिखा हुआ कुछ कुछ
ऐसा जब सामने आता है
“जो तटस्थ हैं समय लिखेगा
उनका भी अपराध”
वाह निकलता है मुंह से
और सारा दिन सोचने में
ही निकल जाता है
जरूर लिखेगा बहुत लिखेगा
तटस्थ ही तो है एक
जिसे बस खुद के बारे
में ही सोचना आता है
लिखा जायेगा बहुत हो जायेगा
पता चलेगा इतिहास का भी
कैसे कैसे कूड़ा बनाया जाता है
एक तटस्थ अपनी
छोटी सोच को लेकर
माफी मांगते हुऐ फिर भी
अपनी विनम्र श्रद्धांजलि
देना ही चाहता है ।