प्रश्न:
किस तरह लिखा जाये कभी बस ज्यादा नहीं एक ही सही
गीत लय सुर ताल में तेरे गीतों की तरह
शहनाईयाँ भी खाँसना शुरु हो जाती हों जिसे देख कर
बस यूँ ही ऐसे ही बिना बात के गुस्से से
रुठे हुऐ मीतों की तरह ?
रुठे हुऐ मीतों की तरह ?
उत्तर:
किसने कहा जमाने को देख अपने आस पास के
फिर मुँह का जायका बिगाड़
समझ के नीम के टुकड़े खा लिये हों जैसे
पड़ोसी से ही अपने
वो भी उधार ले नोट पचास पचास के
समझ के नीम के टुकड़े खा लिये हों जैसे
पड़ोसी से ही अपने
वो भी उधार ले नोट पचास पचास के
सौंदर्य देखना सीख सौंदर्य समझना सीख
सौंदर्य के आस पास रह कर चिपकना सीख
आँख कान मुँह अपने बंद कर लोगों के बीच में रहना सीख
पहले इसे सीख तो सही फिर कहना कैसी कही
खुद बा खुद ही तू एक गीत हो जायेगा
जहाँ जायेगा जिधर निकलेगा
सुर ताल और लय में अपने आप को बंधा हुआ पायेगा
लिखने लिखाने की सोचना ही छोड़ देगा
बिना लिखे पेड़ जमीन और आकाश में लिख दिया जायेगा
जितना मना करेगा उतना छाप दिया जायेगा
हजार के नोट में गाँधी जी की छुट्टी कर तुझे ही चेप दिया जायेगा
इस सब में
लपेटने की अपनी आदत से भी बाज आयेगा
गीत लिखेगा ही नहीं फिल्मों में भी गवाया जायेगा
शाख पर बैठे गुलिस्ताँ उजाड़ने के लिये बदनाम ‘उलूक’
गीतकार हो जायेगा ।
गीतकार हो जायेगा ।
चित्र साभार: www.clipartpanda.com