अगला
बहुत
गुस्से में
मुझे आज
नजर आया
इस
बात पर कि
फंला ने उसको
दुकानदार
कह कर बुलाया
पूछने का
तमीज जैसे
पूछने वाला
अपने घर
छोड़ के हो आया
धंधा
कैसा
चल रहा है
जैसे प्रश्न
एक
शरीफ
के सामने
दागने की हिम्मत
पता नहीं
कैसे कर पाया
ये भी
नहीं सोच पाया
इतनी सारी
उपाधियां
जमा करने
के कारण ही
तो कोई
नीचे से ऊपर
तक है पहुंच पाया
बड़बड़
करते हुऐ
उसके निकलते ही
सामने से
मुझे अपने
अंदर से
निकलता हुआ
एक
दुकानदार
नजर आया
मौका
मिलते ही
कुछ
बेच डालने
के हुनरमंद
लोगों का
खयाल आया
थोड़ा ईमान
थोड़ा जमीर
बेचने का मौका
आज
के समय पर
थोड़ा थोड़ा तो
हर
किसी ने
कभी
ना कभी
है पाया
ये बात
अलग है
एक
पक्की दुकान
बनाने
की हिम्मत
कोई नहीं कर पाया
क्योंकि
रोज के धंधे
की ईमानदारी
के बुर्के की
आड़ को
छोड़ने का
रिस्क लेने का
थोड़ा सा
साहस
बस
नहीं कर पाया ।
बहुत
गुस्से में
मुझे आज
नजर आया
इस
बात पर कि
फंला ने उसको
दुकानदार
कह कर बुलाया
पूछने का
तमीज जैसे
पूछने वाला
अपने घर
छोड़ के हो आया
धंधा
कैसा
चल रहा है
जैसे प्रश्न
एक
शरीफ
के सामने
दागने की हिम्मत
पता नहीं
कैसे कर पाया
ये भी
नहीं सोच पाया
इतनी सारी
उपाधियां
जमा करने
के कारण ही
तो कोई
नीचे से ऊपर
तक है पहुंच पाया
बड़बड़
करते हुऐ
उसके निकलते ही
सामने से
मुझे अपने
अंदर से
निकलता हुआ
एक
दुकानदार
नजर आया
मौका
मिलते ही
कुछ
बेच डालने
के हुनरमंद
लोगों का
खयाल आया
थोड़ा ईमान
थोड़ा जमीर
बेचने का मौका
आज
के समय पर
थोड़ा थोड़ा तो
हर
किसी ने
कभी
ना कभी
है पाया
ये बात
अलग है
एक
पक्की दुकान
बनाने
की हिम्मत
कोई नहीं कर पाया
क्योंकि
रोज के धंधे
की ईमानदारी
के बुर्के की
आड़ को
छोड़ने का
रिस्क लेने का
थोड़ा सा
साहस
बस
नहीं कर पाया ।