उलूक टाइम्स: साहस
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बुधवार, 13 नवंबर 2013

विनती

खाली घूमने
आते हैं
ना आयें
कहीं और
चले जायें
टिप्पणी का
बाजार ना
ही बनायें
लिखा हुआ
पढ़े पूरा
समझ में
नहीं आये
तो लिखें
नहीं समझ पाये
हिम्मत करें
कहें कूड़ा है
जो लिखा है 

खुद कूड़ा
ना फैलायें
ना ही कोई
फैलानें पाये
इतना साहस
पैदा कर
सकते हैं
तो यहाँ आयें
जरूर आयें।

रविवार, 13 अक्टूबर 2013

दुकान नहीं थी फिर भी दुकानदार कह कर बुलाया

अगला
बहुत
गुस्से में
मुझे आज
नजर आया

इस
बात पर कि
फंला ने उसको

दुकानदार
कह कर बुलाया

पूछने का
तमीज जैसे
पूछने वाला
अपने घर
छोड़ के हो आया

धंधा
कैसा
चल रहा है
जैसे प्रश्न

एक
शरीफ
के सामने
दागने की हिम्मत

पता नहीं
कैसे कर पाया

ये भी
नहीं सोच पाया

इतनी सारी
उपाधियां
जमा करने
के कारण ही
तो कोई
नीचे से ऊपर
तक है पहुंच पाया

बड़बड़
करते हुऐ
उसके निकलते ही

सामने से
मुझे अपने
अंदर से
निकलता हुआ

एक
दुकानदार
नजर आया

मौका
मिलते ही

कुछ
बेच डालने
के हुनरमंद
लोगों का
खयाल आया

थोड़ा ईमान
थोड़ा जमीर
बेचने का मौका

आज
के समय पर
थोड़ा थोड़ा तो

हर
किसी ने
कभी
ना कभी
है पाया

ये बात
अलग है

एक
पक्की दुकान

बनाने
की हिम्मत
कोई नहीं कर पाया

क्योंकि
रोज के धंधे
की ईमानदारी
के बुर्के की
आड़ को

छोड़ने का
रिस्क लेने का

थोड़ा सा
साहस

बस
नहीं कर पाया ।