जैसे ही
सोचो
नये
किस्म
का कुछ
नया
करने की
कहीं
ना कहीं
कुछ ना
कुछ ऐसा
हो जाता है
जो
ध्यान
भटकाता है
और
लिखना
लिखाना
शुरु करने
से पहले ही
कबाड़ हो
जाता है
बड़ी तमन्ना
होती है
कभी एक
कविता लिख
कर कवि
हो जाने की
लेकिन
बकवास
लिखने का
कोटा कभी
पूरा ही
नहीं हो
पाता है
हर साल
नये साल में
मन बनाया
जाता है
जिन्दे कवियों
की मरी हुई
कविताओं को
और
मरे हुऐ
कवियों की
जिंदा
कविताओं
को याद
किया जाता है
कविता
लिखना
और
कवि हो
जाना
इसका
उसका
फिर फिर
याद आना
शुरु हो
जाता है
कविता
पढ़
लेने वाले
कविता
समझ
लेने वाले
कविता
खरीद
और बेच
लेने वालों
से ज्यादा
कविता पर
टिप्प्णी कर
देने वालों के
चरण
पादुकाओं
की तरफ
ध्यान चला
जाता है
रहने दे
‘उलूक’
औकात में
रहना ही
ठीक
रहता है
औकात से
बाहर जा
कर के
फायदे उठा
ले जाना
सबको नहीं
आ पाता है
लिखता
चला चल
बकवास
अपने
हिसाब की
कितनी लिखी
क्या लिखी
गिनती करने
कोई कहीं से
नहीं आता है
मत
किया कर
कोशिश
मरी हुई
बकवास से
जीवित कविता
को निकाल
कर खड़ी
करने की
खड़ी लाशों
के अम्बार में
किस लिये
कुछ और
लाशें अपनी
खुद की
पैदा की हुई
जोड़ना
चाहता है ।
चित्र साभार: profilepicturepoems.com
सोचो
नये
किस्म
का कुछ
नया
करने की
कहीं
ना कहीं
कुछ ना
कुछ ऐसा
हो जाता है
जो
ध्यान
भटकाता है
और
लिखना
लिखाना
शुरु करने
से पहले ही
कबाड़ हो
जाता है
बड़ी तमन्ना
होती है
कभी एक
कविता लिख
कर कवि
हो जाने की
लेकिन
बकवास
लिखने का
कोटा कभी
पूरा ही
नहीं हो
पाता है
हर साल
नये साल में
मन बनाया
जाता है
जिन्दे कवियों
की मरी हुई
कविताओं को
और
मरे हुऐ
कवियों की
जिंदा
कविताओं
को याद
किया जाता है
कविता
लिखना
और
कवि हो
जाना
इसका
उसका
फिर फिर
याद आना
शुरु हो
जाता है
कविता
पढ़
लेने वाले
कविता
समझ
लेने वाले
कविता
खरीद
और बेच
लेने वालों
से ज्यादा
कविता पर
टिप्प्णी कर
देने वालों के
चरण
पादुकाओं
की तरफ
ध्यान चला
जाता है
रहने दे
‘उलूक’
औकात में
रहना ही
ठीक
रहता है
औकात से
बाहर जा
कर के
फायदे उठा
ले जाना
सबको नहीं
आ पाता है
लिखता
चला चल
बकवास
अपने
हिसाब की
कितनी लिखी
क्या लिखी
गिनती करने
कोई कहीं से
नहीं आता है
मत
किया कर
कोशिश
मरी हुई
बकवास से
जीवित कविता
को निकाल
कर खड़ी
करने की
खड़ी लाशों
के अम्बार में
किस लिये
कुछ और
लाशें अपनी
खुद की
पैदा की हुई
जोड़ना
चाहता है ।
चित्र साभार: profilepicturepoems.com