रिश्ते शब्दों के
शब्दों से भी
हुआ करते हैं
जरूरी नहीं
सारे रिश्तेदार
एक ही पन्ने में
कहीं एक साथ
मिल बैठ कर
आपस में बातें
करते हुऐ
नजर आ जायें
आदमी और
उसकी सोच की
पहुँच से दूर
भी पहुँच जाते हैं
एक पन्ने के
शब्दों के रिश्ते
किसी दूसरे के
दूसरे पन्ने की
तीसरी या चौथी
लाईन के बीच में
कहीं कुछ असहज
सा भी लगता है
कुछ शब्दों का
किसी और की
बातों के बीच
मुस्कुराना
कई बार पढ़ने
के बाद बात
समझ में आती
हुई सी भी
लगती है
बस पचता
नहीं है शब्द का
उस जगह होना
जैसे किसी के
सोने के समय
के कपड़े कुछ
देर के लिये
कोई और पहन
बैठा हो
उस समय एक
अजीब सी इच्छा
अंदर से बैचेन
करना शुरु
कर देती है
जैसे वापस
माँगने लगे कोई
अचानक पहने
हुऐ वस्त्र
आँखे कई बार
गुजरती हैं
शब्दों से इसी तरह
कई लाईनों के
बीच बीच में
बैठे हुऐ रिश्तेदारों
के वहाँ होने की
असहजता के बीच
मन करता है
खुरच कर क्यों ना
देख लिया जाये
क्या पता
नीचे पन्ने पर
कुछ और लिखा हुआ
समझ में आसानी
से आ जाये
‘उलूक’ तेरे चश्में में
किस दिन किस
तरह की खराबी
आ जाये
तेरे रिश्तेदार
कौन कौन से
शब्द है और
कहाँ कहाँ है
शायद किसी
की समझ में
कभी गलती
से आ ही जाये।
चित्र साभार: http://www.clipartpanda.com
शब्दों से भी
हुआ करते हैं
जरूरी नहीं
सारे रिश्तेदार
एक ही पन्ने में
कहीं एक साथ
मिल बैठ कर
आपस में बातें
करते हुऐ
नजर आ जायें
आदमी और
उसकी सोच की
पहुँच से दूर
भी पहुँच जाते हैं
एक पन्ने के
शब्दों के रिश्ते
किसी दूसरे के
दूसरे पन्ने की
तीसरी या चौथी
लाईन के बीच में
कहीं कुछ असहज
सा भी लगता है
कुछ शब्दों का
किसी और की
बातों के बीच
मुस्कुराना
कई बार पढ़ने
के बाद बात
समझ में आती
हुई सी भी
लगती है
बस पचता
नहीं है शब्द का
उस जगह होना
जैसे किसी के
सोने के समय
के कपड़े कुछ
देर के लिये
कोई और पहन
बैठा हो
उस समय एक
अजीब सी इच्छा
अंदर से बैचेन
करना शुरु
कर देती है
जैसे वापस
माँगने लगे कोई
अचानक पहने
हुऐ वस्त्र
आँखे कई बार
गुजरती हैं
शब्दों से इसी तरह
कई लाईनों के
बीच बीच में
बैठे हुऐ रिश्तेदारों
के वहाँ होने की
असहजता के बीच
मन करता है
खुरच कर क्यों ना
देख लिया जाये
क्या पता
नीचे पन्ने पर
कुछ और लिखा हुआ
समझ में आसानी
से आ जाये
‘उलूक’ तेरे चश्में में
किस दिन किस
तरह की खराबी
आ जाये
तेरे रिश्तेदार
कौन कौन से
शब्द है और
कहाँ कहाँ है
शायद किसी
की समझ में
कभी गलती
से आ ही जाये।
चित्र साभार: http://www.clipartpanda.com
http://bulletinofblog.blogspot.in/2014/10/2014-6.html
जवाब देंहटाएंआपकी ये रचना चर्चामंच http://charchamanch.blogspot.in/ पर चर्चा हेतू 11 अक्टूबर को प्रस्तुत की जाएगी। आप भी आइए।
जवाब देंहटाएंस्वयं शून्य
Bahut zabardast likha hai :) .........
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