रख दे
अपना दिल
खोल कर
अपने सामने से
और पढ़ ले
हनुमान चालीसा
किसी को भी
तेरे दिल से
क्या लेना देना
सबके पास
अपना एक
दिल होता है
हाँ
हो सकता है
हनुमान जी
के नाम पर
कुछ लोग रुक जायें
ये बात
अलग है
कि हनुमान जी
किस के लिये
क्या कर सकते हैं
हो सकता है
हनुमान जी
के लिये भी
प्रश्न कठिन हो जाये
उन्हें भी
आगे कहीं
राम चंद्र जी के पास
पूछ्ने के लिये
जाना पड़ जाये
इसीलिये
हमेशा राय
दी जाती है
खबर के चक्कर में
पड़ना ठीक नहीं है
खबर
बनाने वाले
की मशीन
खबर वाले
के हाथ में
नहीं होती है
खबर
की भी एक
नब्ज होती है
एक
घड़ी होती है
जो टिक टिक
नहीं करती है
हनुमान जी ने
उस जमाने में
घड़ी देखी
भी नहीं होगी
देखी होती
तो तुलसीदास जी
की किताब में
कहीं ना कहीं
लिखी जरूर होती
इसलिये
ठंड रख
गरम मत हो
खा पी और सो
खबर को
अखबार
में रहने दे
अपने
दिल को उठा
और वापिस
दिल की जगह में
फिर से बो
हनुमान जी
की भी जय हो
जय हो जय हो ।
चित्र साभार: beritapost.info
अपना दिल
खोल कर
अपने सामने से
और पढ़ ले
हनुमान चालीसा
किसी को भी
तेरे दिल से
क्या लेना देना
सबके पास
अपना एक
दिल होता है
हाँ
हो सकता है
हनुमान जी
के नाम पर
कुछ लोग रुक जायें
ये बात
अलग है
कि हनुमान जी
किस के लिये
क्या कर सकते हैं
हो सकता है
हनुमान जी
के लिये भी
प्रश्न कठिन हो जाये
उन्हें भी
आगे कहीं
राम चंद्र जी के पास
पूछ्ने के लिये
जाना पड़ जाये
इसीलिये
हमेशा राय
दी जाती है
खबर के चक्कर में
पड़ना ठीक नहीं है
खबर
बनाने वाले
की मशीन
खबर वाले
के हाथ में
नहीं होती है
खबर
की भी एक
नब्ज होती है
एक
घड़ी होती है
जो टिक टिक
नहीं करती है
हनुमान जी ने
उस जमाने में
घड़ी देखी
भी नहीं होगी
देखी होती
तो तुलसीदास जी
की किताब में
कहीं ना कहीं
लिखी जरूर होती
इसलिये
ठंड रख
गरम मत हो
खा पी और सो
खबर को
अखबार
में रहने दे
अपने
दिल को उठा
और वापिस
दिल की जगह में
फिर से बो
हनुमान जी
की भी जय हो
जय हो जय हो ।
चित्र साभार: beritapost.info
जय हो हनुमान जी की
जवाब देंहटाएंयहाँ भी पधारें
http://chlachitra.blogspot.in/
http://cricketluverr.blogspot.com
आभार मिथिलेश जी ।
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (07-06-2015) को "गंगा के लिए अब कोई भगीरथ नहीं" (चर्चा अंक-1999) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
आभार आदरणीय ।
हटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंआभार ओंकार जी ।
हटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंआभार हिमकर जी ।
हटाएं