इसी लिये
बार बार
कहा जाता है
समझाया जाता है
सरकार
के द्वारा
प्रचारित प्रसारित
किया जाता है
पोथी लेकर
कुछ दिन
किसी
किसी
स्कूल में
चले जाने
चले जाने
का
फायदा नुकसान
फायदा नुकसान
तुरंत
नहीं भी हो
नहीं भी हो
सालों साल बाद
पता चल पाता है
जब
फर्जी
होने ना होने
का
सबूत ढूँढने का
सबूत ढूँढने का
प्रयास
स्कूल के
स्कूल के
रजिस्टर से
किया जाता है
वैसे
डंके की चोट पर
फर्जी होना
और
और
साथ में
सर
ऊँचा रखना
भी
अपने आप में
अपने आप में
एक कमाल ही
माना जाता है
जो है सो है
सच होना
और
और
सच पर टिके रहना
भी
एक बहुत बड़ी
एक बहुत बड़ी
बात हो जाता है
यहीं पर
दुख: भी होना
शुरु हो जाता है
फर्जी के
फंस जाने
पर
तरस भी आता है
तरस भी आता है
अनपढ़
और
पढ़े लिखे
के
फर्जीवाड़े के तरीकों
फर्जीवाड़े के तरीकों
पर
ध्यान चला जाता है
ध्यान चला जाता है
पढ़ा लिखा
फर्जी
हिसाब किताब
साफ सुथरा
रख पाता है
दिमाग लगा कर
फर्जीवाड़े को
करते करते
करते करते
खुद भी साफ सुथरा
नजर आता है
फर्जीवाड़ा
करता भी है
फर्जीवाड़ा
सिखाता भी है
फर्जियों के बीच में
सम्मानित भी
किया जाता है
‘उलूक’ का
आना जाना है
रोज ही आता जाता है
बस
समझ नहीं पाता है
पढ़ लिख
नहीं पाया फर्जी
फर्जी
प्रमाण पत्र लाते समय
असली
प्रमाण पत्र वाले
पढ़े लिखे फर्जियों से
राय लेने
क्यों
नहीं आ पाता है ?
चित्र साभार: http://www.mapsofindia.com/
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 11 - 06 - 2015 को चर्चा मंच पर बरसों मेघा { चर्चा - 2003 } में दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
आभार दिलबाग जी ।
हटाएंसमसामयिकी और व्यंग्यपूर्ण रचना। सादर ... अभिनन्दन।।
जवाब देंहटाएंब्लॉग :- ज्ञान कॉसमॉस
फेसबुक पेज :- ज्ञान कॉसमॉस
आभार हर्ष ।
हटाएंबात दिलचस्प है मगर सच पर चोट करती है ,....... कोई फ़र्ज़ी बात नहीं आज कल रचनात्मक होने के लिए भी प्रमाण पत्र चाहिए , ३० दिन में लेखन वाले कोर्स पर भी सुना है लोगों को लेखक बनाया जा रहा है ,वरना जय शंकर प्रसाद को भी एक सर्टिफिकेट थमाने वाले कम ना थे उन्होंने शिक्षण स्वयं घर पर स्वतः अध्ययन कर लिया ही था। आजकल योग्यता आंकी कहां जाती है , डिग्री सर्टिफिकेट तौले जाते है।
जवाब देंहटाएंआभार अराधना । सटीक विवेचना । ढोंग करने के लिये कहाँ किसी डिग्री की जरूरत होती है ।
हटाएंबहुत बढ़िया व्यंग..
जवाब देंहटाएंआभार रश्मि जी ।
हटाएंबहुत ख़ूब
जवाब देंहटाएंआभार हिमकर जी ।
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