उलूक टाइम्स: “बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी” मेंहदी हसन की गाई ज़फ़र की गजल की ही बात करें

शनिवार, 16 अगस्त 2025

“बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी” मेंहदी हसन की गाई ज़फ़र की गजल की ही बात करें


कृष्ण की बात करें
गीता की बात करें
जो हो रहा है उसे तो
होना ही है मानकर
आत्मसात करें

स्वतंत्रता दिवस मनाएं 
जन्माष्टमी भी मनाएं
झंडे साथ में लहरा घर घर
हर घर तिरंगे की बात करें

सकारात्मकता की
बात को फैलाएं
सकारात्मक होना ही होता है
जैसा माहौल बनाएं

करने कराने की बातें भी
कर ही लेंगे फिर कभी
फिलहाल के हाल पर
बबाल छोड़
जयमाल की बात करें

प्रकृति के इंद्रधनुष में
बेमिसाल सात रंगों की
मिसाल की बात करें

बादलों के फटने
हिमनदों के घटने
इंसानों के मरने मिटने की बात को
गीता के श्लोकों में छुपा
ज्ञान विज्ञान बता
संधान की बात करें
अनुसंधान की बात करें

युद्ध की विभीषिका
की बात पर बात करें
परमाणू हथियारों के साथ करें
युद्धभूमी पर ही दिया
कृष्ण ने अर्जुन को जो ज्ञान
उस गीता पर लिखी
मरने मारने की बातों पर बात करें

बात करना कौन सा मुश्किल है
समाधान ना भी निकले फिर भी
आयें बैठें
चाय समोसे पकौड़ी के साथ
हाथ से मिलाकर हाथ
गले मिलकर नारे लगाकर बात करें

रहने दें ना कर सकें बात तो ‘उलूक’
 “बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी”
मेंहदी हसन की गाई
ज़फ़र की गजल की ही बात करें |

चित्र साभार: https://www.shutterstock.com/

11 टिप्‍पणियां:

  1. मेंहदी हसन की गाई
    ज़फ़र की गजल की ही बात करें |
    शुभकमनाएं
    वंदन

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  2. वाह ! बात में से बात निकलती है, जैसे बादल से बरसात निकलती है

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  3. बात संवाद निरंतर चलते रहना चाहिए क्योंकि चलना ही जिंदगी का नाम है
    बहुत बढ़िया,,

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  4. स्वतंत्रता और त्योहार, प्रकृति और विज्ञान, युद्ध और शांति—सब पर बात हो सकती है लेकिन समाधान का रास्ता संवाद और आपसी जुड़ाव से ही निकलता है। यह सोच सिखाती है कि हमें हर परिस्थिति में सकारात्मक माहौल बनाना है, मिलकर रहना है और प्रेम व भाईचारे के साथ आगे बढ़ना है।

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  5. वाह , बहुत ही बढ़िया लिखा है । बातें ज़रूरी हैं । ख़ामोशी खलती है

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