नमन
उन सीढ़ियों को
जिस पर चढ़ कर
बहुत ऊपर तक
कहीं पहुँच लिया
जा रहा होता है
नमन
उन कन्धों को
जिन को
सीढ़ियों को
टिकाने के लिये
प्रयोग किया
जा रहा होता है
नमन
उन बन्दरों को
जिन्हेंं हनुमान
बना कर
एक राम
सिपाही की तरह
मोर्चे पर
लगा रहा होता है
नमन
उस सोच को
जो गाँधी के
तीन बन्दरों
के जैसा
एक में ही
बना ले जा
रहा होता है
नमन
और भी हैं
बहुत सारे हैं
करने हैं
आज ही
के शुभ दिन
हर साल की तरह
जब
अपना अपना सा
लगता दिन
बुला रहा होता है
कैसे करेगा
कितने करेगा
नमन ‘उलूक’
ऊपर
चढ़ गया
चढ़ जाने के बाद
कभी नीचे को
उतरता हुआ
नजर ही नहीं
आ रहा होता है
गुरु
मिस्टर इण्डिया
बन कर ऊपर
कहीं गुड़
खा रहा होता है
चेलों
का रेला
वहीं
सीढ़ियाँ पकड़े
नीचे से
शक्कर
हो जाने के
ख्वाबों के बीच
कहीं
सीटियाँ बजा
रहा होता है।
चित्र साभार: www.123rf.com
उन सीढ़ियों को
जिस पर चढ़ कर
बहुत ऊपर तक
कहीं पहुँच लिया
जा रहा होता है
नमन
उन कन्धों को
जिन को
सीढ़ियों को
टिकाने के लिये
प्रयोग किया
जा रहा होता है
नमन
उन बन्दरों को
जिन्हेंं हनुमान
बना कर
एक राम
सिपाही की तरह
मोर्चे पर
लगा रहा होता है
नमन
उस सोच को
जो गाँधी के
तीन बन्दरों
के जैसा
एक में ही
बना ले जा
रहा होता है
नमन
और भी हैं
बहुत सारे हैं
करने हैं
आज ही
के शुभ दिन
हर साल की तरह
जब
अपना अपना सा
लगता दिन
बुला रहा होता है
कैसे करेगा
कितने करेगा
नमन ‘उलूक’
ऊपर
चढ़ गया
चढ़ जाने के बाद
कभी नीचे को
उतरता हुआ
नजर ही नहीं
आ रहा होता है
गुरु
मिस्टर इण्डिया
बन कर ऊपर
कहीं गुड़
खा रहा होता है
चेलों
का रेला
वहीं
सीढ़ियाँ पकड़े
नीचे से
शक्कर
हो जाने के
ख्वाबों के बीच
कहीं
सीटियाँ बजा
रहा होता है।
चित्र साभार: www.123rf.com