टिप्पणी
में
कहीं
ताला लगा
होता है
कहीं कोई
खुला
छोड़ कर भी
चला जाता है
टिप्पणी
करने
खुले में
टिप्पणी
करने
बंद में
कब
कौन कहाँ
और
किसलिये
आता जाता है
समझ में
सबके
सब आता है
दो चार
में से एक
'सियार'
जरा
ज्यादा तेज
हो जाता है
बिना
निविदा
पेश किये
ठेकेदारी ले लेना
ठीक नहीं
माना जाता है
आदमी
पिनक में
ईश्वरीय
होने की
गलतफहमी
पाल ले जाता है
अपनी
गिरह में
झाँकना
छोड़ कर
किसी
के भी
माथे पर
‘पतित’
चिप्पी
चिपकाना
चाहता है
गिरोह
बना कर
अपने जैसों के
किसी
को भी
घेर कर
लपेटना
चाहता है
इतना
उड़ना भी
ठीक नहीं
गालियाँ
नहीं देता
है कोई
का मतलब
गाली देना
नहीं आना
नहीं
हो जाता है
देश
शुरु होता है
घर से
मोहल्ले से
शहर से
छोटे छोटे
जेबकतरों से
निगाह
फेर कर
राम भजन
नहीं गाया
जाता है
करिये
किसी से
भी प्रेम
अपनी
औकात
देख कर ही
प्रेम
किया जाता है
मत बनिये
थानेदार
मत बनिये
ठेकेदार
हर कोई
दिमाग
अपने हाथ में
लेकर
नहीं आता है
थाना
न्यायालय
न्याय व्यवस्था
से ऊपर
अपने
को रखकर
तानाशाह
नहीं
बना जाता है
फटी
सोच से
झाँकता हुआ
फटा हुआ
दिमाग
बहुत
दूर से
नजर
आ जाता है
लोकतंत्र
का मतलब
गिरोह
बना कर
किसी की
उतारने की सोच
नहीं माना जाता है
इशारों में
कही बात
का मतलब
हर इशारा
करने वाला
अच्छी
तरह से
समझ जाता है
‘उलूक’
जानता है
'उल्लू का पट्ठा'
का प्रयोग
उल्लू
और
उसके
खानदान
के लिये ही
किया जाता है
और
सब जानते हैं
टिप्पणी
करने
खुले में
टिप्पणी
करने
बंद में
कब
कौन कहाँ
और
किसलिये
आता जाता है ।
चित्र साभार: https://pixy.org
में
कहीं
ताला लगा
होता है
कहीं कोई
खुला
छोड़ कर भी
चला जाता है
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करने
बंद में
कब
कौन कहाँ
और
किसलिये
आता जाता है
समझ में
सबके
सब आता है
दो चार
में से एक
'सियार'
जरा
ज्यादा तेज
हो जाता है
बिना
निविदा
पेश किये
ठेकेदारी ले लेना
ठीक नहीं
माना जाता है
आदमी
पिनक में
ईश्वरीय
होने की
गलतफहमी
पाल ले जाता है
अपनी
गिरह में
झाँकना
छोड़ कर
किसी
के भी
माथे पर
‘पतित’
चिप्पी
चिपकाना
चाहता है
गिरोह
बना कर
अपने जैसों के
किसी
को भी
घेर कर
लपेटना
चाहता है
इतना
उड़ना भी
ठीक नहीं
गालियाँ
नहीं देता
है कोई
का मतलब
गाली देना
नहीं आना
नहीं
हो जाता है
देश
शुरु होता है
घर से
मोहल्ले से
शहर से
छोटे छोटे
जेबकतरों से
निगाह
फेर कर
राम भजन
नहीं गाया
जाता है
करिये
किसी से
भी प्रेम
अपनी
औकात
देख कर ही
प्रेम
किया जाता है
मत बनिये
थानेदार
मत बनिये
ठेकेदार
हर कोई
दिमाग
अपने हाथ में
लेकर
नहीं आता है
थाना
न्यायालय
न्याय व्यवस्था
से ऊपर
अपने
को रखकर
तानाशाह
नहीं
बना जाता है
फटी
सोच से
झाँकता हुआ
फटा हुआ
दिमाग
बहुत
दूर से
नजर
आ जाता है
लोकतंत्र
का मतलब
गिरोह
बना कर
किसी की
उतारने की सोच
नहीं माना जाता है
इशारों में
कही बात
का मतलब
हर इशारा
करने वाला
अच्छी
तरह से
समझ जाता है
‘उलूक’
जानता है
'उल्लू का पट्ठा'
का प्रयोग
उल्लू
और
उसके
खानदान
के लिये ही
किया जाता है
और
सब जानते हैं
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कौन कहाँ
और
किसलिये
आता जाता है ।
चित्र साभार: https://pixy.org