उलूक टाइम्स: तेरह
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मंगलवार, 16 जनवरी 2018

तेरह सौ वीं बकवास हमेशा की तरह कुछ नहीं खास कुछ नजर आये तो बताइये


तेरह 
के नाशुक्रे
नामुराद अंक
पर ना जाइये

इतनी तो
झेल चुके हैं
पुरानी कई

आज की
ताजी नयी पर
इरशाद फरमाइये

कहने का
बस अन्दाज है
एक नासमझ का
जनाब अब तो
समझ ही जाइये

हिन्दी और
उर्दू से मिलिये
इस गली की
इस गली में

उस गली की
अंगरेजी
उस गली में
रख कर आइये

किसलिये
बतानी हैं
दिल की
बातें किसी को

छुपाने के लिये
कुछ छुपी
बातें बनाइये

तलबगार
किसलिये हैं
मीठे के इतने
नमकीन खाइये


निकल लीजिये
किसी पतली गली में
बेहोश हो कर गिर जाइये


छुपती नहीं है
दोस्ती दुश्मनी
बचिये नहीं
खुल के सामने आइये

मरना तो
सब को है इक दिन
कुछ इस तरह से
या उस तरह से


मरवा दे
कोई इस से पहले
मौका ना देकर
खुद ही मर जाइये


‘उलूक’
तेरहवीं करे
तेरह सौ वीं
बकवास
की जब तक

नई
इक ताजी
खबर की
कबर पर
आकर

मुट्ठी भर
धूल उड़ाइये।

चित्र साभार: https://www.lilly.com.pk/en/your-health/diabetes/complications-of-diabetes/index.aspx

सोमवार, 13 अक्टूबर 2014

कोई नहीं कोई गम नहीं तू भी यहीं और मैं भी यहीं



साल के दसवें
महीने का
तेरहवाँ दिन

तेरहवीं नहीं
हो रही है कहीं

हर चीज
चमगादड़
नहीं होती है
और उल्टी
लटकती
हुई भी नहीं


कभी सीधा भी
देख सोच
लिया कर

घर से
निकलता
है सुबह

ऊपर
आसमान में
सूरज नहीं
देख सकता क्या

असीमित उर्जा
का भंडार
सौर उर्जा
घर पर लगवाने
के लिये नहीं
बोल रहा हूँ

सूरज को देखने
भर के लिये ही
तो कह रहा हूँ

क्या पता शाम
होते होते सूरज के
डूबते डूबते
तेरी सोच भी
कुछ ठंडी हो जाये

और घर
लौटते लौटते
शाँत हवा
के झौकों के
छूने से
थोड़ा कुछ
रोमाँस जगे
तेरी सोच का

और लगे तेरे
घर वालों को भी
कहीं कुछ गलत
हो गया है

और गलत होने
की सँभावना
बनी हुई है
अभी भी
जिंदगी के
तीसरे पहर से
चौथे पहर की
तरफ बढ़ते हुऐ
कदमों की

पर होनी तो तेरे
साथ ही होती है
‘उलूक’
जो किसी को
नहीं दिखाई देता
किसी भी कोने से
तेरी आँखे
उसी कोने पर
जा कर रोज
अटकती हैं
फिर भटकती है

और तू
चला आता है
एक और पन्ना
खराब करने यहाँ

इस की
भी किस्मत
देश की तरह
जगी हुई
लगती है ।

चित्र साभार: http://www.gograph.com/