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सोमवार, 4 फ़रवरी 2013

मदारी छोड़ रहा है का राग क्यों गा रहा है नया सीख कर क्यों नहीं आ जा रहा है


बहुत से मदारी
ताजिंदगी
एक 
ही बंदर से काम चलाते हैं

इसीलिये
जमाने की दौड़ में बस
यूँ ही पिछड़ते चले जाते हैं

मेरा मदारी 
भी सुना है
अब समझदारी 
कहीं से सीख के आ रहा है

कहते सुना 
मैने उसे
अब 
मेरे नाच में मजा नहीं आ रहा है
वो एक नये बंदर को ट्रेनिंग देने
चुपचाप 
कहीं कहीं कभी कभी आ जा रहा है

जंजीर और 
रस्सियों को
करने वाला वो दरकिनार है
जमाना कब से 
वाई फाई का हुआ जा रहा है
उसकी अक्ल में
अब ये बहुत अच्छी तरह से घुस पा रहा है

रस्सी से तो 
एक समय में 
एक ही बंदर को नचाया जा रहा है
बंदर भी दिख जा रहा है
रस्सी को भी वो छुपा नहीं पा रहा है

 ई-दुनियाँ में 
देखिये
कितना 
मजा आ रहा है
सब कुछ पर्दे के पीछे से ही चलाया जा रहा है

बंदर और मदारी
दोनो का एक साथ दीदार हुआ जा रहा है

लेकिन
किसने 
मदारी बदल दिया
और
किसके पास 
नया बंदर आ रहा है
इसका अंदाज कोई भी नहीं लगा पा रहा है

इन
सब के बीच
गौर करियेगा जरा

मेरा
सीखा 
सिखाया हुआ नाच
कितनी बेदर्दी से डुबोया जा रहा है

दिमाग वालों को कम
देखने वालों को ज्यादा
बारीकी से 
ये सब
समझ में 
आ जा रहा है ।

चित्र साभार: https://www.istockphoto.com/

रविवार, 24 जून 2012

कुछ नया किया जाये

खुद के
मन के अंदर
घुमड़ रहा हो जो

जरूरी नहीं
उसका बादल
बनने दिया जाये

दूसरा बादल
कहीं और
बना के क्यों ना
बरसने दिया जाये

अपने चेहरे को
अपने आईने
में ही देखा जाये

जरूरी नहीं
जो दिखे खुद को

उसे किसी
और को
दिखाया जाये

अपने अपने
आईने को
पर्दों से
ढक दिया जाये

कोई क्या
देख रहा है
उनके अपने
आईने में
किसी से
ना पूछा जाये

वीराने
बुनने वालों को
किसी दिन
बिल्कुल भी
ना टोका जाये

एक दिन
तो ऎसा हो

जिस दिन
अपने गमलों
को बस
देखा जाये

उनकी
आवारगी
को आज
नजरअंदाज
कर दिया जाये

एक दिन
के लिये सही 

अपना ही
आवारा 
हो
लिया जाये

चुपचाप
आज दिन में ही
सो लिया जाये

कुछ पल
का ही सही
मौन ले
लिया जाये

अपनी
बक बक
की रेल को
लाल सिग्नल
दिया जाये

किसी
और का
सुरीला गीत
आज के लिये
सबको सुनने
को दिया जाये।

शुक्रवार, 22 जून 2012

कर नया कुछ

चलिये
आज कुछ

मूड बदल
दिया जाये


कुछ
रूमानी
बातों में

दिल को अपने

जबरदस्ती  
धकेल
लिया जाये


कहाँ से
करें शुरू
कि

मजा ही मजा
हो जाये


पिताजी
आज बिजली

वाला आया था

पुराने
बहुत से बिल

जमा नहीं हुवे हैं
समझाने आया था

छोड़िये भी
रहने दीजिये
इधर से भी
ध्यान हटाते हैं

बारिश
नहीं हो रही है

बहुत समय से
लोग बताते हैं

कुछ
बादलों की

सोच कर
सपनों में ही सही
नमी ले आते हैं

सुनते हो जी
गैस का सिलिण्डर
वापिस आ गया है

मेट को
गाड़ी वाले ने

वापिस लौटा दिया है

कल से स्टोव में

खाना बनाइयेगा

आज
अभी जा के

कैरोसिन
पाँच लीटर

जरा बाजार से
ब्लैक में ले आइयेगा


उफ
एक कोशिश
अंतिम कोशिश

क्या पता
मूड बन ही जाये

अंधे
के हाथ में
कानी बटेर
कहीं
से आ जाये

इंद्रधनुष
देखे सोचे हुवे

एक अर्सा बीत गया

रंगों को
सब काला सफेद

मौका मिलते ही
हर कोई कर गया

चलो
घर पर ही

उसे बना लिया जाये

बल्ब की
तेज रोशनी करके

पानी की फुहारों को
हवा में उडा़या जाये

आम
जनता को

सूचित किया जाता है

बिजली
कटौती से

चूंकि पम्प नहीं
चल पाता है

अगले
दो दिन पानी

नहीं आ पायेगा

जिसे प्यास
लग ही गयी

बिसलेरी बाजार से
अपने लिये खरीद
के ले आयेगा

रहने भी
दीजिये


किसी
और दिन अब

खुश रहने
का जुगाड़

कर लिया जायेगा

आज भी
कटे फटे

मुद्दों पर ही ध्यान
लगाया जायेगा

पढ़ने
वाले भी

इसी के आदी
हो चुके हैं

खाली
कहीं नई

रंगीन बात
छपी
देख
कर यहां


किसी को
तेज
बुखार
आ जायेगा ।

शुक्रवार, 15 जून 2012

कुछ नहीं

अच्छा तो फिर 
आज क्या कुछ 
नया यहाँ लिखने
को ला रहे हो
या रोज की तरह
आज भी हमको
बेवकूफ बनाने
फिर जा रहे हो
ये माना की
बक बक आपकी
बिना झक झक
हम रोज झेल
ले जाते हैं
एक दिन भी नागा
फिर भी आप
कभी नहीं करते
कुछ ना कुछ
बबाल ले कर
यहाँ आ जाते हैं
लगता है आज कोई
मुद्दा आपके हाथ
नहीं आ पाया है
या फिर आपका
ही कोई खास
फसाद कहीं कुछ
करके आया है
कोई बात नहीं
कभी कभी ऎसा
भी हो ही जाता है
मुर्गा आसपास
में होता तो है
पर हाथ नहीं
आ पाता है
आदमी अपनी
जीभ से लाख
कोशिश करके भी
अपनी नाक को
नहीं छू पाता है
लगे रहिये आप
भी कभी कमाल
कर ले जायेंगे
कुछ ऎसा लिखेंगे
कि उसके बाद
एक दो लोग
जो कभी कभी
अभी इधर को
आ जाते हैं
वो भी पढ़ने
नहीं आयेंगे
कुछ कहना लिखना
तो दूर रहा
सामने पढ़ ही गये
किसी रास्ते में
देखेंगे आपको जरूर
पर बगल की गली से
दूसरे रास्ते में खिसक
कर चले जायेंगे
बाल बाल बच गये
सोच सोच कर
अपने को बहलायेंगे।