उलूक टाइम्स: बम
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गुरुवार, 17 अप्रैल 2014

घर घर की कहानी से मतलब रखना छोड़ काम का बम बना और फोड़

आज उसकी भी
घर वापसी हो गई
उधर वो उस घर से
निकल कर आ
गया था गली में
इधर ये भी
निकल पड़ा था
बीच गली में
पता नहीं कब से
उदास सा खड़ा था
दोनो बहुत दिनो से
गली गली खेल रहे थे
टीम से बाहर
निकाल दिया जाना
या नाराज होकर टीम
को छोड़ के आ जाना
एक जैसी ही बात है
खिलाड़ी खिलाड़ी के
खेल को समझते हैं
कोई गली में हो रहा
कठपुतली का तमाशा
जैसा जो क्या होता है
थोड़ी देर के लिये
पुतली की रस्सी
हाथ में किसी को
थमा के नचाने वाला
दिशा मैदान को
निकल जाये और
तमाशे की घड़ी
अटकी रहे खुली
बेशरम बेपरदा
देखने वाला भी
निकाल ले कुछ नींद
या लेता रहे जम्हाई
थोड़ी देर के लिये सही
अब घर की बात हो
और एक ही बाप हो
तो अलग बात है
बाप पर बाप हो
और घर से बाहर
एक बाप खुश और
एक बाप अंदर
से नाराज हो
खैर दूर से दूसरे के
घर के तमाशे को
देखने का मजा ही
कुछ और होता है
जब लग रहा था
इधर वाला उस
घर में घुस लेगा
और उधर वाला इस
घर में घुस लेगा
तभी सब ठीक रहेगा
पोल पट्टी खुलती रहेगी
खबर मिलती रहेगी
पर एक बाप अब
बहुत नाराज दिख रहा है
जब से वो अपने ही घर में
फिर से घुस गया है
अब क्या किया जाये
ये सब तो चलना ही है 

उलूक तू तमाशबीन है
था और हमेशा ही रहेगा
तूने कहना ही है कहेगा
होना वही ढाक के
तीन ही पत्ते हैं
बाहर था तो देख कर
खुजली हो जाती थी
अंदर चला गया
तो हाथ से ही
खुजला देगा
प्रेम बढ़ेगा
देश प्रेम भी
बाप और बेटों का
एक साथ ही दिखेगा
एक अंदर और एक
गली में वंदे नहीं कहेगा।

सोमवार, 14 मई 2012

दिखता है आतंकवाद

बम फोड़ना
मकान उड़ाना
निरीह लोगों की हत्या
यूँ ही करते चले जाना

आतंक फैलाना
फिर
आतंकवादी कहलाना

खबर में छा जाना
पकड़े जाना
जेल चले जाना

दिखता है
हो रहा है
दिखाता है
होगा आगे भी
अभी और कुछ

देश कर सकता है तैयार
रक्षा रणनीति और हथियार

बिना रीढ़ की हड्डी
अपने ही घर की टिड्डी
उतरी हुई है मैदान मैं
उतार के अपनी चड्डी

हल्ला खूब मचाती है
लोगों को बताती है
आतंकवादियों से देश
को बचा लो बचा लो की
डुगडुगी रोज बजाती है

खूबसूरत
रंगीन पंख फैलाती है
सुंदर नाच भी दिखाती है
ध्यान बंटाती है

अंदर ही अंदर
अपने पैरों के
नाखूनों से
देश की नींव
खुरचती जाती है

अपने जैसी
सोच के लोगों को
इकट्ठा इस तरह
करती चली जाती है

एक भी
गोली नहीं चलाती
किसी को
बम से नहीं उड़ाती
बिना रीढ़ की हड्डी के
बाकी लोग माला ले आते हैं
टिड्डी को पहनाते हैं

जयजयकार के साथ
कंधे पर बैठा के जुलूस
उसका बनाते हैं

इसी सब में देश की
नींव दरकती जा रही है
सबको नींद आ रही है

आतंकवादी तो जेल में
बाँसुरी बजा रहा है
टिड्डा अपने भाई बहनों के
साथ सबका ध्यान बटा रहा है

कुछ नहीं दिखता है
कि
कुछ कहीं हो रहा है
ना दिखाता है कुछ होगा

देश कैसे कर सकता है तैयार
रक्षा रणनीति और हथियार।