इससे पहले
कोई समझले
क्या कह
दिया है
विषय ही
बदल दो
समय
रुकता नहीं है
सब जानते हैं
समझते नहीं हैं
मौका देखकर
समय को
ही बदल दो
शातिर कभी
खून
करता नहीं है
खून ही
बदल देता है
सीख लो अगर
सीख सको
मत करो खून
बस खून
ही बदल दो
समय
सिखाता है
परिवर्तन भी
लाता है
सुपारी
देने वाले
बेवकूफ
होते हैं
सुधारवादी
बैठे बैठे
सामने वालों का
बिना कुछ कहे
खून सुखाता है
जरूरी है
कत्ल कर देना
सम्वेदनाओं का
बहुत वेदना देती हैं
सामने सामने
आँखों आँखों में
कह भी
दिया जाता है
कितना
बेवकूफ होता है
मार खाता है
फिर भी अपनों
के पास फिर से
सुखाने
चला आता है
उसका देखना
ही बदल दो
बहुत ही
अपना होता है
पुचकारता
चला जाता है
फाँसी कभी
नहीं होने देगा
खड़े खड़े
समझाता है
लटका दिया
गया है जमीर
‘उलूक’
उसका
बिना पूछे
किसी से
अखबार का
एक समाचार
सुबह का
ये बताता है
अखबार का
कुछ नहीं
कर पायेगा
कहीं कुछ भी
पता होता है
बदल दो कुछ
कोई रस्सी
ही सही
रस्सी
बदल दो ।
चित्र साभार: Dreamstime.com
कोई समझले
क्या कह
दिया है
विषय ही
बदल दो
समय
रुकता नहीं है
सब जानते हैं
समझते नहीं हैं
मौका देखकर
समय को
ही बदल दो
शातिर कभी
खून
करता नहीं है
खून ही
बदल देता है
सीख लो अगर
सीख सको
मत करो खून
बस खून
ही बदल दो
समय
सिखाता है
परिवर्तन भी
लाता है
सुपारी
देने वाले
बेवकूफ
होते हैं
सुधारवादी
बैठे बैठे
सामने वालों का
बिना कुछ कहे
खून सुखाता है
जरूरी है
कत्ल कर देना
सम्वेदनाओं का
बहुत वेदना देती हैं
सामने सामने
आँखों आँखों में
कह भी
दिया जाता है
कितना
बेवकूफ होता है
मार खाता है
फिर भी अपनों
के पास फिर से
सुखाने
चला आता है
उसका देखना
ही बदल दो
बहुत ही
अपना होता है
पुचकारता
चला जाता है
फाँसी कभी
नहीं होने देगा
खड़े खड़े
समझाता है
लटका दिया
गया है जमीर
‘उलूक’
उसका
बिना पूछे
किसी से
अखबार का
एक समाचार
सुबह का
ये बताता है
अखबार का
कुछ नहीं
कर पायेगा
कहीं कुछ भी
पता होता है
बदल दो कुछ
कोई रस्सी
ही सही
रस्सी
बदल दो ।
चित्र साभार: Dreamstime.com