उलूक टाइम्स: रामदेव
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मंगलवार, 9 जून 2015

हाय मैगी किसने किया ये हाल तेरा हिसाब नहीं लगा पा रहे हैं

हाय मैगी
तू शहीद होने
जा रही है और
हम कुछ नहीं
कर पा रहे हैं
बहुत शर्म
आ रही है
कैसे हुआ
किसने किया
पता ही नहीं
कर पा रहे हैं  

फिर कैसे कहा
जा रहा है

समझ में नहीं
आ रहा है कि
अच्छे दिन
आ रहे हैं
बगुले खुश हैं
मेरे आसपास के
भजन गा रहे हैं
मछलियाँ 
अब
दिख रही हैं 
सतह पर
घड़ियाल तक
आँसू नहीं
बहा रहे हैं
अमन है चैन है
बिक रहा है
बहुत सस्ते में
सब ही खरीद
कर अपने अपने
घर परिवार
के लिये लिये
जा रहे हैं
‘उलूक’ ही बस
एक है इन
सब के बीच में
जिसके गले में
ही कहीं शब्द
अटक जा रहे हैं
गीत गाना चाहता है
मैगी तेरे वियोग का
मगर सुर ही
बिगड़ जा रहे हैं
कब लौटेगी
कैसे लौटेगी
चिंता हो रही है
लोग समझ
नहीं पा रहे हैं
थोड़ी सी ही सही
सांत्वना मिली है
जब से सुना है
बाबा रामदेव
देश के लिये
देश की मिट्टी
से बनी देश
वासियों के लिये
जल्दी ही खुद
बनाने जा रहे हैं।

चित्र साभार: www.fotosearch.com

मंगलवार, 14 अगस्त 2012

अब के तो छा जाना गलती मत दोहराना मलहम आने वाला है



अपने
आस पास 
गन्ने के खेत जैसे उगे हुऎ 

पता नहीं कितने 
पर देखे जरूर थे पिछली बार 
बहुत सारे अन्ना 

नतमस्तक 
हो गया था 
साथ में
कुछ दुखी भी 
हो गया था 
कहीं भी
किसी भी 
खेत में
नहीं 
उग पाया था 
बहुत झल्लाया था 

इस बार 
चांस हाथ से नहीं जाने दूंगा 
चाहे धरती पलट जाये 
मौका भुना ही लूंगा

फिर से
क्योंकी 
लग रहा है कुछ होने वाला है 
सुगबुगाहट सी दिख रही है साफ 
पिछली बार के कलाकारों में

सुना है
जल्दी ही 
इस बार वो
रामदेव 
हो जाने वाला है 

अन्ना हो गये रामदेव 
का समाचार भी 

इन
रामदेवों के 
अपने अखबार का संवाददाता

इस बार भी 
इनकी रोज आने वाली 
खबर की
जगह पर 
ही देने वाला है

सोच कर दीजियेगा 
अपनी खबर इन दिनो आप भी जरा 

आपकी खबर भी 
इनकी खबर में 
रोज की तरह मिलाकर 
वो आप से मजे भी लेने वाला है 

बस एक सबक 
सिखा गया अन्ना इन अन्नाओं को 

काम
अपने रोज के 
छोड़ के
कोई भी 
अन्ना यहां का 
नहीं इस बार मैदान में आने वाला है 

पीछे से
लंगड़ी 
देने वाला है 
गिराने वाला है 

सामने से
आकर 
उठाने वाला है 
रामदेव का मलहम 
मुफ्त में दे के जाने वाला है।

चित्र साभार: 
http://www.theunrealtimes.com/

मंगलवार, 8 नवंबर 2011

"Its fashion to walk in hills and not to ride a car"

दो वर्ग
किलोमीटर के
मेरे शहर की
कैन्टोंन्मेंट
की दीवार
उस पर लिखी
ये इबारत

अब मुंह चिढ़ाती है

शहर के लोग
अब
सब्जी खरीदने
कार में
आने लगे हैं

वो
उनके बच्चे
दोपहियों
पर भी
ऎसे उड़ते हैं
जैसे
शहर पर
आने वाली है
कोई आफत

वो नहीं पहुंचे
अन्ना हजारे
और जलूस
दूर निकल जायेंगे
बाबा रामदेव
भाषण खत्म
कर उड़ जायेंगे

जिस दिन
बढ़ जाते हैं
पैट्रोल के दाम
और दौड़ने
लगती हैं
चमकती दमकती
कुछ और
मोटरसाईकिलें
मालरोड पर

थरथराने
लगते हैं
बच्चे बूढ़े
सूखे पत्तों
की तरह

पट्टी बंधवाते
दिखते हैं
कुछ लोग
हस्पताल में

चेहरे पर रौनक
दिखाई देती है
पुलिस वालो के

महसूस होती है
जरूरत
एक सीटर
हैलीकोप्टर की
मेरे शहर के
जांबाज बच्चो,
बच्चियों, मांओं
पिताओं के
हवा में
उड़ने के लिये

गर्व से कहें वो

हम पायलट है
जमीन पर नहीं
रखते कदम

और

जमीन पर
चलने वाले
बच्चे बूढ़े
कर सकें
कुछ देर
मुस्कुराते हुवे
सड़कों पर
कदमताल ।