मन करता है
किसी समय
एक
सादे सफेद
पन्ने पर
खींच दी जायें
कुछ
आड़ी तिरछी रेखायें
फिर
बनाये जायें
कुछ नियम
उन
आड़ी तिरछी
रेखाओं के
आड़े पन
और
तिरछे पन के लिये
जिससे
आसान
हो जाये
समझना
किसी भी
आड़े
और
तिरछे को
कहीं से भी
कभी भी
सीधे खड़े होकर
बहुत कुछ
बहुत
सीधा सीधा
दिखता है
मगर
बहुत ही
टेढ़ा होता है
बहुत कुछ
टेढ़ा
दिखता है
टेढ़ा
दिखाता है
जिसको
सीधा करने
के चक्कर में
सीधा
करने वाला
खुद ही
टेढ़ा
हो जाता है
टेढ़े होने
ना होने का
कहीं कोई
नियम
कानून भी
नजर
नहीं आता है
ऐसा भी
नहीं होता है
टेढ़ा
हो जाने
के कारण
कोई टेढ़ी
सजा भी
पाता है
नियम
कानून
व्यवस्था
के सवाल
अपनी
जगह
पर होते हैं
लेकिन
सीधा
सीधा है
का पता
टेढ़ों
के साथ
रहने उठने
बैठने के साथ
ही पता
चल पाता है
‘उलूक’
लिखने दे
सब को
उन के
अपने अपने
नियमों
के हिसाब से
सीधा
होने की
कतई
जरूरत नहीं है
कुछ चीजें
टेढ़ी ही
अच्छी
लगती हैं
उन्हें
टेढ़ा ही
रहने दिया
जाता है
क्यों
झल्लाता है
अगर
तेरे लिखे को
किसी से
भूल वश
कविता है
कह दिया
जाता है ।
चित्र साभार: www.dreamstime.com
किसी समय
एक
सादे सफेद
पन्ने पर
खींच दी जायें
कुछ
आड़ी तिरछी रेखायें
फिर
बनाये जायें
कुछ नियम
उन
आड़ी तिरछी
रेखाओं के
आड़े पन
और
तिरछे पन के लिये
जिससे
आसान
हो जाये
समझना
किसी भी
आड़े
और
तिरछे को
कहीं से भी
कभी भी
सीधे खड़े होकर
बहुत कुछ
बहुत
सीधा सीधा
दिखता है
मगर
बहुत ही
टेढ़ा होता है
बहुत कुछ
टेढ़ा
दिखता है
टेढ़ा
दिखाता है
जिसको
सीधा करने
के चक्कर में
सीधा
करने वाला
खुद ही
टेढ़ा
हो जाता है
टेढ़े होने
ना होने का
कहीं कोई
नियम
कानून भी
नजर
नहीं आता है
ऐसा भी
नहीं होता है
टेढ़ा
हो जाने
के कारण
कोई टेढ़ी
सजा भी
पाता है
नियम
कानून
व्यवस्था
के सवाल
अपनी
जगह
पर होते हैं
लेकिन
सीधा
सीधा है
का पता
टेढ़ों
के साथ
रहने उठने
बैठने के साथ
ही पता
चल पाता है
‘उलूक’
लिखने दे
सब को
उन के
अपने अपने
नियमों
के हिसाब से
सीधा
होने की
कतई
जरूरत नहीं है
कुछ चीजें
टेढ़ी ही
अच्छी
लगती हैं
उन्हें
टेढ़ा ही
रहने दिया
जाता है
क्यों
झल्लाता है
अगर
तेरे लिखे को
किसी से
भूल वश
कविता है
कह दिया
जाता है ।
चित्र साभार: www.dreamstime.com