उलूक टाइम्स: हार
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सोमवार, 9 नवंबर 2015

जब पकाना ही हो तो पूरा पकाना चाहिये बातों की बातों में बात को मिलाना आना चाहिये

अब
चोर होना
अलग बात है

ईमानदार होना
अलग बात है

चोर का
ईमानदार होना
अलग बात है

चोरी करने
के लिये
कुछ सामने
से होना
अलग बात है

बिना कुछ
उठाये
छिपाये भी
चोरी हो जाना
अलग बात है

कहने का
मतलब
ऐसे तो कुछ
भी नहीं है
पर
वैसे कहो
तो कुछ है
और
नहीं भी है

बात कहने में
क्या जाता है
बातें बताना
अलग बात है
बातें बनाना
अलग बात है

जैसे बात
दिशा बताने
की हो तो भी
बिल्कुल
जरूरी नहीं है
दिशा का ज्ञान हो

बच्चे का
चेहरा हो
शरीर
जवान हो
अधेड़ की
सोच हो
बुढ़ापे की
झुर्रियों
के पहले
से ही छिपे
हुऐ निशान हो

इसकी जीत में
उसकी हार हो
किसी के लिये
हार और जीत
दोनो बेकार हों

समय के
निशानों पर
छिपाये
निशान हों

जन्मदिन हो
जश्न हो
शहर हो
प्रदेश हो
ईमानदार
का ईमान हो
झूठ बस
बे‌ईमान हो

ईमानदारी
पर भाषण हो
झूठ का
सच हो
सच का
झूठ हो
शासन का
राशन हो
योगा का
आसन हो
बात का
बात से
बात पर
प्रहार हो
मुस्कुराता

अंदर
ही अंदर
अंदर का
व्यभिचार हो

पर्दा खुला
रहने रहने
तक तो
कम से कम
नाटक हो
और
जोरदार हो ।

चित्र साभार: www.dreamstime.com

गुरुवार, 5 फ़रवरी 2015

दो चार दिन और पश्चिमी विक्षोभ पूरब पर भारी रहेगा

जरूरी है
क्या जीतना
हार भी गया
तब भी
क्या होगा
एक तो
पक्का हारेगा
और एक
जीतेगा भी
एक बीच में
रह कर
तमाशा भी देखेगा
उसके बाद
कुछ होगा
या नहीं होगा
ये किसी को
भी पता नहीं होगा
ये बस आज ही
की बात नहीं है
जब से शुरु हुआ है
हारना और जीतना
तब से लगता रहा है
कुछ ऐसा ही होगा
ऐसा नहीं भी होगा
तो वैसा जरूर होगा
जीतने वाला बहुत
समझदार होगा
हारने वाला
बेवकूफ होगा
जिताने वाले के पास
बड़ा दिमाग होगा
हराने वाले के पास
हरा दिमाग होगा
बड़ा दिमाग कब
हरा दिमाग होगा
और हरा दिमाग कब
बड़ा दिमाग होगा
ये किसे पता होगा
इसे पता करना ही
बहुत बड़ा काम होगा
हर बार की तरह
इस बार भी होगा
एक ने जीतना होगा
एक ने हारना होगा
जिताने वाले के
पास इनाम होगा
हराने वाले के
पास इनाम होगा
हारना जीतना पहली नहीं
पिछली कई बार की तरह
ही इस बार भी होगा
बस देखना इतना ही है
जो होता आ रहा है
इस देश में
क्या वही इस बार होगा
वही होता रहेगा
और हर बार होगा
तेरा क्या होगा
तुझे मालूम होगा
मेरा क्या होगा
उसे मालूम होगा
उसका क्या होगा
किस को पता होगा
कहने वाला कह रहा है
इस समय भी
कुछ ना कुछ
उस समय भी
कुछ ना कुछ
कह रहा होगा
तेरा देश तेरा रहेगा
मेरा देश मेरा रहेगा
ये रहेगा तो ये करेगा
वो रहेगा तो वो करेगा
झंडा ऊँचा रहे हमारा
हमसे कहो कहने के लिये
ये भी कहेगा और
वो भी कहेगा ।

चित्र साभार: clipartof.com

शुक्रवार, 17 अगस्त 2012

ब्लाग है या बाघ है

सपने भी
देखिये ना
कितने अजब
गजब सी चीजें
दिखाते हैं
जो कहीं
नहीं होता
ऎसी अजीब
चीजें पता नहीं
कहाँ कहाँ से
उठा कर लाते हैं
कल रात का
सपना कुछ
कुछ रहा है याद
अब किसी को
कैसे बतायेंं ये
अजीब सी बात
एक शहर जैसा
सपने में कहीं
नजर आ रहा था
घुसते ही
'ब्लाग नगर' का
बडा़ सा बोर्ड
दिखा रहा था
अंदर घुसे तो
जलसे जलूस
इधर उधर
जा रहे थे
ब्लाग काँग्रेस
ब्लाग सपा
जैसे झंडे
लहरा रहे थे
कुछ ब्लागर
कम्यूनिस्ट हैं
करके भी
समझा रहे थे
खेल का मैदान
भी दिखा जहाँ
ब्लाग ब्लाग का
खेल एक खेला
जा रहा था
टिप्पणियों का
होता है स्कोर
उस पर होती है
जीत और हार
ऎसा स्कोरबोर्ड
बता रहा था
हंसी आ रही थी
सुन सुन कर
जब सुना एक
ब्लागर ब्लाग
फिक्सिंग
करवा रहा था
टिप्पणियाँ किसी
ब्लाग की किसी
और को दे
आ रहा था
उसकी रिपोर्ट
करने दूसरा
ब्लागर ब्लाग थाने
में जा रहा था
ब्लाग पुलिस
को लाकर
घटनाक्रम की
एफ आई आर
की पोस्ट की
कापी बना
रहा था
आगे इसके
क्या हुआ
पता ही नहीं
चल पा रहा था
घड़ी का अलार्म
सुबह हो गयी
का बहुत शोर
मचा रहा था
सामने खड़ी
बिस्तरे के
श्रीमती मेरी
पूछ रही थी
मुझसे कि
तू सपने में
बाघ बाघ
जैसा क्यों
चिल्ला रहा था ।