उलूक टाइम्स

बुधवार, 11 अप्रैल 2012

जयजयकार बिल्लियों की

सौ चूहे भी खा गयी
बिल्ली कबका हज
कर के भी आ गयी
बिल्ली अब
हाजी कहलाती है
बिल्ली अब
चूहे नहीं खाती है
बिल्ली
चूहों को हिंसक होने
के नुकसान बताती है
बिल्ली अब
देशप्रेमी कहलाती है
केन्द्रीय सरकार से
सीधे पैसे ले के आती है
सरकारी कार्यक्रम
हो नहीं पाते हैं
अगर बिल्ली वहाँ
नहीं आती है
बिल्ला भी दांतो का नया
सेट बनवा के लाया है
उसने भी घर पर
मुर्गियों के लिये
एक आश्रम बनवाया है
बीमार मुर्गे मुर्गियों
को रोज दाना खिलाता है
उसके लिये सरकारी
ग्राँट भी लेके आता है
अपने बुड्ढे बुढ़ियों से
बरसों से इसी कारण
नहीं मिल पाता है
बिल्ली और बिल्ले
के बलिदान को देख
मेरी आँखे भर आती हैं
वो दोनो जब गाड़ी
से जा रहे होते हैं
लेट कर प्रणाम करने
की तीव्र इच्छा जाग
ही जाती है ।

सोमवार, 9 अप्रैल 2012

वक्त रहते सुधर जाओ

कितना
कनफ्यूजन
हो जाता है

कौन सही है
कौन गलत है
नापने का
पैमाना हर
कोई अपने
अपने घर से
अपने बस्ते में
लेकर आता है

मास्टर जी
आप अब
पुराने हो
चुके हो
आकर वो
बताता है

प्यार से
समझाता है
तुम्हारे
जमाने
में ये सब
नहीं होता
रहा होगा
कहीं पर
अब हर
जगह यही
और ऐसा
ही होता है
इतना छोटा
सा हिसाब
आपसे इस
उम्र में भी
पता नहीं
क्यों नहीं
लग पाता है

तुमको ना
जाने क्यों
नहीं कुछ
दिखाई
देता है
सारा होना
आज सड़क
में होता है
बाजार में
होता है
जंगल में
जाने की
जरूरत
नहीं होती है

खुले
आसमान
में खुले
आम
होता है

पर्दे में
अब रखने
की कुछ भी
जरूरत
नहीं होती है

जो भी
होता है
पूरा मजमा
लगा कर
सरेआम
होता है

अब तू
नहीं कर
पाता है
इसलिये
जार जार
रोता है

तेरे जैसे
विचारों
वाला
इसी लिये
ओल्ड
होता है

जो किया
जा रहा है
वो ही बस
बोल्ड
होता है

तू भी
करले
नहीं तो
बहुत
पछतायेगा

नये लोगों
की फिरकी
नहीं खेल
पायेगा

बल्ला
तेरे हाथ
में मजबूत
होगा
लेकिन
तू
क्लीन बौल्ड
हो जायेगा ।

अन्नास्वामी नाराज है

मित्र मेरा मुन्नाभाई
कुछ दिन जब अन्ना
की संगत में आया
अन्नाभाई कहलाया
बाबाओं की जयकारे से
अन्नास्वामी नाम धर लाया
बहुत अच्छा चालक है
ब्लागगाड़ी चला रहा है
अपने ट्रेक में तो माहिर है
इधर उधर की गाड़ियों
को भी ट्रेक दिखा रहा है
कभी कोई ट्रेक से
बाहर हो जाता है
अन्नास्वामी को जोर
का गुस्सा आ जाता है
कल से अन्नास्वामी
नाराज हो रहा है
गुर्रा रहा है पंजे के
नाखून से ब्लाग को
नोचता भी जा रहा है
असल में किसी ब्लागर
का पेट हो गया था खराब
और वो अनर्गल कुछ
बातें ब्लाग में रहा था छाप
अन्नास्वामी नहीं सह पाया
शांत भाव से ब्लागर को
उसने समझाया
पर बीमार कहाँ बिना
दवाई के ठीक हो पाता
बीमार तो बीमार
एक तीमारदार अन्नास्वामी
पर चढ़ के है आता
अन्नास्वामी को जब है
उसने धमकाया तो
हमको भी गुस्सा है आया
अब हम भी मिलकर
जयकारा लगायेंगे
अन्नास्वामी के लिये
जलूस लेकर जायेंगे
'अन्ना तुम संघर्ष करो
हम तुम्हारे साथ हैं'
के नारे भी जोर जोर
से लगायेंगे।

रविवार, 8 अप्रैल 2012

मदारी और बंदर

हर
मदारी
अपने बंदर
नचा रहा है

बंदर बनूं
या मदारी

समझ में
ही नहीं
आ रहा है

हर कोई
ज्यादा से
ज्यादा बंदर
चाह रहा है

ज्यादा
बंदर वाला

बड़ा
हैड मदारी
कहलाया
जा रहा है

बंदर
बना
हुवा भी

बहुत खुश
नजर आ
रहा है

मदारी
मरेगा तो

डमरू
मेरे ही हाथ
में तो पड़ेगा
के सपने
सजा रहा है

बंदर
बना कर
नचाना

और
मदारी
हो जाना

अब
सरकारी
प्रोग्राम होता
जा रहा है


सुनाई दे
रहा है

जल्दी ही
बीस सूत्रीय
कार्यक्रम में
भी शामिल
किया जा
रहा है

काश !

मुझे भी
एक बंदर
मिल जाता

या फिर  

कोई
मदारी
ही मुझको
नचा ले जाता

पर
कोई भी
मेरे को 
जरा सा भी
मुंह नहीं
लगा रहा है

क्या
आपकी
समझ में कुछ
आ रहा है?

चित्र साभार: 1080.plus

शनिवार, 7 अप्रैल 2012

कुछ

कभी कुछ
व्यक्त नहीं
करने वाली
भीड़ में से

कुछ लोग
अपने आप
कुछ हो
जाते हैं

बाकी कुछ को
समाचार पत्र के
माध्यम से बताते हैं
वो कुछ हो गये हैं

नहीं बोलने
वाले कुछ लोगों
को कोई फर्क
नहीं पड़ता है
अगर कोई
अपने आप कुछ
हो जाता है
और बताता है

जो कुछ
हो जाते हैं
वो भी कभी
कुछ नहीं
बोलते हैं

बस कुछ कुछ
करते चले जाते हैं
कुछ भी किसी को
कभी नहीं बताते हैं

ऎसे ही कुछ कुछ
होता चला जाता है

ऎसे ही यहाँ के कुछ
वहाँ के कुछ लोगों
से मिल जाते हैं

बीच बीच में
कुछ कुछ
करने कहीं कहीं
को चले जाते हैं

ये सब भारत देश
के छोटे लोकतंत्र
कहलाते हैं

कुछ भी हो कुछ
करना इतना भी
आसान नहीं होता है

कुछ कर लिया
जिसने यहां
उससे बड़ा
भगवान ही
नहीं होता है।