उलूक टाइम्स: मदारी और बंदर

रविवार, 8 अप्रैल 2012

मदारी और बंदर

हर
मदारी
अपने बंदर
नचा रहा है

बंदर बनूं
या मदारी

समझ में
ही नहीं
आ रहा है

हर कोई
ज्यादा से
ज्यादा बंदर
चाह रहा है

ज्यादा
बंदर वाला

बड़ा
हैड मदारी
कहलाया
जा रहा है

बंदर
बना
हुवा भी

बहुत खुश
नजर आ
रहा है

मदारी
मरेगा तो

डमरू
मेरे ही हाथ
में तो पड़ेगा
के सपने
सजा रहा है

बंदर
बना कर
नचाना

और
मदारी
हो जाना

अब
सरकारी
प्रोग्राम होता
जा रहा है


सुनाई दे
रहा है

जल्दी ही
बीस सूत्रीय
कार्यक्रम में
भी शामिल
किया जा
रहा है

काश !

मुझे भी
एक बंदर
मिल जाता

या फिर  

कोई
मदारी
ही मुझको
नचा ले जाता

पर
कोई भी
मेरे को 
जरा सा भी
मुंह नहीं
लगा रहा है

क्या
आपकी
समझ में कुछ
आ रहा है?

चित्र साभार: 1080.plus

5 टिप्‍पणियां:

  1. मदारी मद में मदमस्त |
    बेचारे बन्दर जयकारे में व्यस्त |
    जितने बन्दर उतना ऊंचा स्वर |
    कमाई की सौ प्रतिशत दर |
    दिन
    दुनी
    रत चौगुनी |
    माया मास्टरनी-
    अरबों की स्वामिनी |
    ज्यादा बन्दर जयादा नाम |
    मुलायम का क्या काम |
    मदारी मस्त |
    जनता पस्त ||

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  2. दो-तीन दिनों तक नेट से बाहर रहा! एक मित्र के घर जाकर मेल चेक किये और एक-दो पुरानी रचनाओं को पोस्ट कर दिया। लेकिन मंगलवार को फिर देहरादून जाना है। इसलिए अभी सभी के यहाँ जाकर कमेंट करना सम्भव नहीं होगा। आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!

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  3. मदारी का जमाना है...देखो, कब किस मदारी की नजर पड़ जाये फिर तो नाचना है ही!!

    सटीक कटाक्ष!!

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  4. ये बंदर मदारी का खेल हमें भी समझ नहीं आ रहा है ...

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    1. बंदर मदारी का खेल उसी को समझ में आता है
      जो या तो बंदर बना किसी को नचाता है
      नचा नहीं पाता है तो किसी को मदारी बना के
      उसका बंदर हो जाता है और नाचना शुरु हो जाता है।
      अच्छा हुवा ये दोनो मौके आपके पास नहीं आये
      आप इंसान ही बने रहे और चैन से रह पाये ।

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