उलूक टाइम्स: संवेदना

सोमवार, 14 सितंबर 2009

संवेदना


कमप्यूटर
को 
संवेदनशील
बनाना है 

चाँदनी, खुश्बू
चूडियों की खनक,
पायल की झंकार

का
प्रोग्राम 
बनाना है।

दोस्ती, प्यार, 
ममता
की 
फ्लोपी
से
ही काम 
चल जाए

नयी पीढ़ी
को 
बस इतना
ही तो 
समझाना है ।

9 टिप्‍पणियां:

  1. आप एक प्रोग्राम बनाइए
    पहले इंसानी कार्यक्रम या
    क्रियाकर्म का डिप्‍लोमा कर आइए।

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  2. दोस्तो कई बार मुझे लगता है क्म्प्यूटर इन्सानो से ज्यादा सम्वेदनशेल है. अब ब्लोग पर ही देख लो अमीर गरीब छोटे बडे सब एक जगह पर रहते ही है़.

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  3. कंप्युटर को संवेदनशील बनाने में भी एक कवि की महत्वपूर्ण भूमिका है.

    जानने के लिए - यहाँ देखें राईटर बनाम कंप्युटर - व्यंग्य कविता

    http://sulabhpatra.blogspot.com/2009/07/blog-post_19.html

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  4. jab baadal aur kabootar preetam tak sandesh le jaa sakte hain to computer to aur bhee samvedan sheel hai.

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  5. हर निर्जीव में भी एक सम्वेदना होती है । मैं भी इस संवेदना की तलाश मे निरंतर लगा रहता हूँ । यह हम सब का सामूहिक प्रयास हो ।-शरद कोकास दुर्ग छ. ग.

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  6. मनोज सुयाल

    ये तो जो कंप्युटर मै काम कर रहा है की उस इन्सान के ऊपर है की वो कितना संवेदनशील है

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  7. जब इंसान ने ही संवेदना को त्‍याग दिया तो इस संगणक में कहां से पैदा होगी
    अगर पैदा हो गयी तो
    आपको धन्‍यवाद दर धन्‍यवाद दूंगा

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  8. कल 11/12/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

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