एक पूरी और एक आधी सदी
पुन : एक बार फिर से खुली
एक बंद खिड़की
आहट कुछ हुवी
नरेन्द्र के यहाँ कभी आने की
भारत के झंडे
अमेरिका में गाड़े थे
जिस युवा ने कभी
कोशिश करी किसी ने तो
उस स्मृति को हिलाने की
मेरे शहर अल्मोड़ा ने
देखा फिर से एक बार
वो अवतार
स्वामी विवेकानन्द
अवतरित होकर आया
बच्चों के रूप में इस बार
एक दिन के लिये ही कहीं
बच्चे युवा बुजुर्ग जुड़े यहीं
किया याद अश्रुपूर्ण नेत्रों से
उस अवतार को
जिसपर लुटाया था
मेरे शहर ने अपने प्यार को
कम उम्र में माना कि
वो हमेंं छोड़ कर चला गया
"उठो जागो रुको मत करो प्राप्त अपना लक्ष्य "
का संदेश पूरे जग को दे गया।
अधिक व्यस्त था |
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति |
बधाई ||
वाह ! वाकई बहुत ही रोमांचक पल रहा होगा ग्यारह साल पहले उस 130 साल पूर्व घटित अभूतपूर्व घटना का मंचन को रूबरू देखना .. आपके पुत्र को भी अभिनय के लिए शुभकामनाएँ .. आपके शब्द चित्र को नमन .. बस यूँ ही ...
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