अंदर का सबकुछ
बाहर नहीं लाया
जा रहा था
थोड़ा कुछ
छांट छांट कर
दिखाया जा रहा था
बीबी बच्चों के बारे में
हर कोई कुछ
बता रहा था
अपनी ओर से
कुछ कुछ
समझाये जा रहा था
तभी एक ने कहा
दुनियाँ करती पता
नहीं क्या क्या है
लेकिन पब्लिक में
तो यही कहती है
अपने बच्चे
सबसे प्यारे
दूसरे की बीबी
खूबसूरत होती है
बीबी सामने बैठी हो
तो कोई क्या कह पाये
अगल बगल झांके
सोच में पड़ जाये
भैया बीबी तो
बीबी होती है
इधर की होती है
चाहे
उधर की होती है
एक आदमी जब
बीबी वाला
हो जाता है
फिर सोचना
देखना रह ही
कहाँ जाता है
जो देखती है बीबी
ही देखती है
दूसरे की बीबी को
देखने की कोई
कैसे सोच पाता है
हाँ कुछ होते हैं
मजबूत लोग
इधर भी देख लेते हैं
उधर भी देख लेते है
ऎसे लोगो को
ऎसी जगह बैठा
दिया जाता है
जहां से हर कोई
नजर में आ जाता है
पत्नी का एक पति
कुछ और पति
भी हो जाता है
इधर उधर देखने
का फायदा
उठा ले जाता है।
बाहर नहीं लाया
जा रहा था
थोड़ा कुछ
छांट छांट कर
दिखाया जा रहा था
बीबी बच्चों के बारे में
हर कोई कुछ
बता रहा था
अपनी ओर से
कुछ कुछ
समझाये जा रहा था
तभी एक ने कहा
दुनियाँ करती पता
नहीं क्या क्या है
लेकिन पब्लिक में
तो यही कहती है
अपने बच्चे
सबसे प्यारे
दूसरे की बीबी
खूबसूरत होती है
बीबी सामने बैठी हो
तो कोई क्या कह पाये
अगल बगल झांके
सोच में पड़ जाये
भैया बीबी तो
बीबी होती है
इधर की होती है
चाहे
उधर की होती है
एक आदमी जब
बीबी वाला
हो जाता है
फिर सोचना
देखना रह ही
कहाँ जाता है
जो देखती है बीबी
ही देखती है
दूसरे की बीबी को
देखने की कोई
कैसे सोच पाता है
हाँ कुछ होते हैं
मजबूत लोग
इधर भी देख लेते हैं
उधर भी देख लेते है
ऎसे लोगो को
ऎसी जगह बैठा
दिया जाता है
जहां से हर कोई
नजर में आ जाता है
पत्नी का एक पति
कुछ और पति
भी हो जाता है
इधर उधर देखने
का फायदा
उठा ले जाता है।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआपका कार्य सराहनीय है!
परिस्थितियों के अनुरूप बदलता व्यवहार....
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंशुभकामनाये ||
बहुत अच्छी प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंइस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!