कविता सविता
तो तब लिखता
अगर गलती से
भी कवि होता
मैं सिर्फ
बातें बनाना
जानता हूँ
छंद चौपाई
दोहे नहीं
पहचानता हूँ
रोज दिखते
हैं यहां कई
उधार लेकर
जिंदगी बनाते
कुछ जुटे
होते हैं
फटती हुवी
जिंदगी में
पैबंद लगाते
जो देखता
सुनता
झेलता
हूँ अपने
आस पास
कोशिश कर
लिख ही
लेता हूँ
उसमें से
कुछ
खास खास
ऎसे में
आप कैसे
कहते हो
छंद बनाओ
हमारी तरह
कविता एक
लिख कर
दिखाओ
गुरु आप
तो महान हो
साहित्य जगत
की एक
गरिमामय
पहचान हो
खाली दिमाग
वालों पर
इतना जोर
मत लगाओ
बेपैंदे के
लोटे को तो
कम से कम
ना लुढ़काओ
क से कबूतर
लिख पा
रहा हो
अगर
कोई यहां
गीत लिखने
की उम्मीद
उससे तो
ना ही लगाओ
हो सके
तो उसे
ख से
खरगोश
ही
सिखा जाओ
नहीं कर
सको
इतना भी
तो
कम से कम
उसके लिये
एक ताली ही
बजा जाओ।
तो तब लिखता
अगर गलती से
भी कवि होता
मैं सिर्फ
बातें बनाना
जानता हूँ
छंद चौपाई
दोहे नहीं
पहचानता हूँ
रोज दिखते
हैं यहां कई
उधार लेकर
जिंदगी बनाते
कुछ जुटे
होते हैं
फटती हुवी
जिंदगी में
पैबंद लगाते
जो देखता
सुनता
झेलता
हूँ अपने
आस पास
कोशिश कर
लिख ही
लेता हूँ
उसमें से
कुछ
खास खास
ऎसे में
आप कैसे
कहते हो
छंद बनाओ
हमारी तरह
कविता एक
लिख कर
दिखाओ
गुरु आप
तो महान हो
साहित्य जगत
की एक
गरिमामय
पहचान हो
खाली दिमाग
वालों पर
इतना जोर
मत लगाओ
बेपैंदे के
लोटे को तो
कम से कम
ना लुढ़काओ
क से कबूतर
लिख पा
रहा हो
अगर
कोई यहां
गीत लिखने
की उम्मीद
उससे तो
ना ही लगाओ
हो सके
तो उसे
ख से
खरगोश
ही
सिखा जाओ
नहीं कर
सको
इतना भी
तो
कम से कम
उसके लिये
एक ताली ही
बजा जाओ।
वाह...............
जवाब देंहटाएंबढ़िया व्यंग......
सादर
अनु
तालियां!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविता।
bahot achche.....
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