चार लोगों से
कहलवाकर
अपने लिये
अलग कुर्सी
एक चाँदी
की लगवाकर
सब्जी लेने
हुँडाई में जाकर
कपड़ो में सितारे
टंकवाकर
कोशिश होती है
अपना एक
आभा मण्डल
बनाने की
अब
आभा मण्डल हो
या
प्रभा मण्डल हो
या
कुछ और
यूँ ही अच्छी
शक्लो सूरत
से ही थोड़े ना
पाया जाता है
कुछ लोग
अच्छे
दिखते नहीं हैं
पर चुंबक सा
सबको अपनी
ओर खींचते
चले जाते हैंं
पहनते कुछ
खास भी नहीं हैं
और हरी सब्जी
वो खाते हैं
चुपचाप रहते हैंं
और
बस थोड़ा थोड़ा
मुस्कुराते हैं
लोग बस यूँ ही
उनके दीवाने
पता नहीं क्यों
हो जाते हैं
बहुत कड़ी
मेहनत करके
अपने कर्मों
का कुछ भी
हिसाब
ना धर के
चमकने वाले
एक व्यक्तित्व
का मुकाबला
जब हम नहीं
कहीं भी
कर पाते हैं
तो यू हीं
खिसियाते हैं
मदारी
की तरह
किसी
भी तरह
की डुगडुगी
बजाना शुरू
हो जाते हैं
एक बड़ी
भीड़ का घेरा
अपने चारों
ओर बनाते हैं
आभा मण्डल
की रोशनी
से पीछा
छुड़ाते हैं
कुछ देर के
लिये ही सही
शुतुरमुर्ग की
तरह गर्दन
रेत के अंदर
घुसाते हैं ।
कहलवाकर
अपने लिये
अलग कुर्सी
एक चाँदी
की लगवाकर
सब्जी लेने
हुँडाई में जाकर
कपड़ो में सितारे
टंकवाकर
कोशिश होती है
अपना एक
आभा मण्डल
बनाने की
अब
आभा मण्डल हो
या
प्रभा मण्डल हो
या
कुछ और
यूँ ही अच्छी
शक्लो सूरत
से ही थोड़े ना
पाया जाता है
कुछ लोग
अच्छे
दिखते नहीं हैं
पर चुंबक सा
सबको अपनी
ओर खींचते
चले जाते हैंं
पहनते कुछ
खास भी नहीं हैं
और हरी सब्जी
वो खाते हैं
चुपचाप रहते हैंं
और
बस थोड़ा थोड़ा
मुस्कुराते हैं
लोग बस यूँ ही
उनके दीवाने
पता नहीं क्यों
हो जाते हैं
बहुत कड़ी
मेहनत करके
अपने कर्मों
का कुछ भी
हिसाब
ना धर के
चमकने वाले
एक व्यक्तित्व
का मुकाबला
जब हम नहीं
कहीं भी
कर पाते हैं
तो यू हीं
खिसियाते हैं
मदारी
की तरह
किसी
भी तरह
की डुगडुगी
बजाना शुरू
हो जाते हैं
एक बड़ी
भीड़ का घेरा
अपने चारों
ओर बनाते हैं
आभा मण्डल
की रोशनी
से पीछा
छुड़ाते हैं
कुछ देर के
लिये ही सही
शुतुरमुर्ग की
तरह गर्दन
रेत के अंदर
घुसाते हैं ।
नए नए विषय पर
जवाब देंहटाएंसटीक
सटाक-सटाक ।।
आभार -
भीतर से तन खोखला, मन को खला विशेष ।
आभा-मंडल ले बना, धर बहुरुपिया वेश ।
धर बहुरुपिया वेश, गगरिया छलकत जाए ।
बण्डल-बाज भदेस, शान-शौकत दिखलाए ।
रविकर सज्जन वृन्द, कर्मरत हो मुस्काते ।
उपलब्धियां अनेक, किन्तु न छलकत जाते ।।
हर दिन जैसा है सजा, सजा-मजा भरपूर |
जवाब देंहटाएंप्रस्तुत चर्चा-मंच बस, एक क्लिक भर दूर ||
शुक्रवारीय चर्चा-मंच
charchamanch.blogspot.in
बहुत बढ़िया प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंघूम-घूमकर देखिए, अपना चर्चा मंच ।
लिंक आपका है यहीं, कोई नहीं प्रपंच।।
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
--
डॉ. रूपचंद्र शास्त्री "मयंक"
टनकपुर रोड, खटीमा,
ऊधमसिंहनगर, उत्तराखंड, भारत - 262308.
Phone/Fax: कार्यालयः 05943-250207,निवास- 05943-250129
Mobiles: 08542068797, 09456383898,
09808136060, 09368499921,
09997996437, 07417619828
Website - http://uchcharan.blogspot.com/