किसी
एक दिन
लिख क्यों
नहीं लेता
अपनी तन्हाई
पूरी
ना सही
आधी अधूरी
ही सही
अपने लिये
ना सही
किसी और को
समझाने के
लिये ही सही
पता
तो चले
तन्हाई
तन्हाई
का अंतर
तुझे भी
और
किसी और
को भी
सभी
लिखते हैं
बताने के लिये
वो सब
जो पता
होता है
कोई
कहाँ लिखता है
वो सब कुछ
जो सच में
छुपा होता है
दिखाने की
हो चुकी है
दुनियाँ तो
दिखाने के
लिये ही सही
कुछ लिख
तो सही
अजीब सा
ही सही
जो है
लिखा हुआ
कुछ भी
नया नहीं
कुछ है नया
लिखा हुआ
बताने के
लिये ही सही
तन्हाई
कोई नहीं
लिखता है
कभी हिम्मत
तो कर
कुछ लिख
कोशिश तो कर
ना पढ़े
ना समझे कोई
आज तक
कौन सा समझ
ले रहा है तेरा लिखा
समझा कर
कौन सा
मर जायेगा
लिख कर
अपनी तन्हाई
समझा कर
मर भी गया
तो कुछ नहीं होगा
तन्हा तन्हा
मरने वालों के
गम को
कुछ तो
कम कर
चल
तन्हाई पर
लिख ही ले आज
कुछ अपना
और
कुछ किसी का
बोझ तो
कम कर
जो
होना है वो
हो रहा है
होता रहेगा
तू लिखेगा
लिखता रहेगा
कभी अपनी
अंगड़ाई
पर लिख
कभी अपनी
तन्हाई
पर लिख
कोशिश
तो कर
कुछ नया
लिखने की
ऊपर वाले की
बेहयाई पर लिख ।
एक दिन
लिख क्यों
नहीं लेता
अपनी तन्हाई
पूरी
ना सही
आधी अधूरी
ही सही
अपने लिये
ना सही
किसी और को
समझाने के
लिये ही सही
पता
तो चले
तन्हाई
तन्हाई
का अंतर
तुझे भी
और
किसी और
को भी
सभी
लिखते हैं
बताने के लिये
वो सब
जो पता
होता है
कोई
कहाँ लिखता है
वो सब कुछ
जो सच में
छुपा होता है
दिखाने की
हो चुकी है
दुनियाँ तो
दिखाने के
लिये ही सही
कुछ लिख
तो सही
अजीब सा
ही सही
जो है
लिखा हुआ
कुछ भी
नया नहीं
कुछ है नया
लिखा हुआ
बताने के
लिये ही सही
तन्हाई
कोई नहीं
लिखता है
कभी हिम्मत
तो कर
कुछ लिख
कोशिश तो कर
ना पढ़े
ना समझे कोई
आज तक
कौन सा समझ
ले रहा है तेरा लिखा
समझा कर
कौन सा
मर जायेगा
लिख कर
अपनी तन्हाई
समझा कर
मर भी गया
तो कुछ नहीं होगा
तन्हा तन्हा
मरने वालों के
गम को
कुछ तो
कम कर
चल
तन्हाई पर
लिख ही ले आज
कुछ अपना
और
कुछ किसी का
बोझ तो
कम कर
जो
होना है वो
हो रहा है
होता रहेगा
तू लिखेगा
लिखता रहेगा
कभी अपनी
अंगड़ाई
पर लिख
कभी अपनी
तन्हाई
पर लिख
कोशिश
तो कर
कुछ नया
लिखने की
ऊपर वाले की
बेहयाई पर लिख ।
जवाब देंहटाएंकोई वीरानी सी वीरानी है ,
दस्त (जंगल )को देखके घर याद आया।
मर जाएगा मत सोचा कर ,
तन्हा तन्हा मत सोचा कर ,
प्यार घडी भर का ही बहुत है ,
सच्चा झूंठा मत सोचा कर।
और हाँ ये बे -हयाई भू -लोक की दौलत है। गोलोक वासी/वैकुण्ठ वासी को इलज़ाम न दो। वह तो दृष्टा है समत्व भाव लिए रहता है।
सर बढ़िया , अच्छा लिखा आपने
जवाब देंहटाएंInformation and solutions in Hindi
बहुत बढ़िया सर कोई कहाँ
जवाब देंहटाएंलिखता है
वो सब कुछ
जो सच में
छुपा होता है
आपने हमारे यहाँ आना छोड़ रखा था तो मेरे दिमाग़ से भी उतर गया! वैसे भी लोग मुझे अण्डररेटेड ब्लॉगर मानते हैं. आज की रचना पर यही कहूँगा:
जवाब देंहटाएंअशआर मेरे यूँ तो ज़माने के लिए हैं,
कुछ शेर फ़क़त 'ख़ुद को' सुनाने के लिए हैं!
आपकी स्वत: स्फूर्त अभिव्यक्ति कमाल की है!!
ऊपर वाले की
जवाब देंहटाएंबेहयाई पर लिख !
......बहुत बढ़िया सर
बहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंसुन्दर पंक्तियाँ।। सादर धन्यवाद।।
जवाब देंहटाएंनई कड़ियाँ : कवि प्रदीप - जिनके गीतों ने राष्ट्र को जगाया
गौरैया के नाम
सुन्दर पंक्तियाँ।। सादर धन्यवाद।।
जवाब देंहटाएंनई कड़ियाँ : कवि प्रदीप - जिनके गीतों ने राष्ट्र को जगाया
गौरैया के नाम
लिखता ही है तो सत्य लिख
जवाब देंहटाएंएक नहीं कई तथ्य बिखरे पड़े हैं
विषयों की कमी नहीं
लिख, बस लिख
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (08-02-2014) को "विध्वंसों के बाद नया निर्माण सामने आता" (चर्चा मंच-1517) पर भी होगी!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'